दरभंगा, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । बिहार में दरभंगा जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत नाबालिग बच्ची के अपहरण, यौन शोषण और जबरन धर्मान्तरण का मामला अब तूल पकड़ चुका है। केस नंबर 160/25, दिनांक 29 जुलाई 2025 को राजकुमार भगत ने अलीनगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें मोहम्मद हिजबुल रहमान उर्फ़ आरज़ू को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है।
नाबालिग पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में न केवल हिजबुल रहमान, बल्कि अन्य व्यक्तियों का भी नाम लिया है, जिन पर इस कुकृत्य में शामिल होने का आरोप है। वरीय अधिकारियों की देखरेख में गठित जांच टीम ने पूरे मामले को सत्यापित भी कर दिया है। इसके बावजूद अब तक अभियुक्तों की आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर पीड़िता का एक ऑडियो-वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें उसकी सहमति की बात को प्रचारित कर अभियुक्तों को बचाने की कोशिश की जा रही है। जबकि पीड़िता ने आज़ाद होने के बाद साफ कहा कि उसे हथियार की नोक पर मजबूर कर यह सब कहलवाया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रतिपक्ष का एक प्रभावशाली नेता, जो पीड़िता के पिता को ढांढस देने पहुंचे थे और अभियुक्तों को बख्शा नहीं जाएगा का आश्वासन दिया था, उनकी दोहरी भूमिका सामने आई है। वही नेता मजहबी चश्मे से देखकर पर्दे के पीछे अभियुक्त की पैरवी करते पाए गए हैं। यहां तक कि इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश में उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार चुनाव नज़दीक होने के कारण एक विशेष समुदाय को फंसा रही है।
स्थानीय स्तर पर इस पूरे मामले को लव-जिहाद का मामला मानकर देखा जा रहा है। लोगों का सवाल है कि जब पुलिस जांच में मामला सत्यापित हो चुका है तो फिर अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। क्या पुलिस प्रशासन इस संगठित गिरोह के आगे खुद को असहाय महसूस कर रहा है या सचमुच यह गिरोह प्रशासन से कहीं अधिक ताकतवर हो चुका है? पीड़िता के पिता राजकुमार भगत ने कहा कि जो लोग हमें ढांढस देने आए थे, वही पर्दे के पीछे से अभियुक्तों की मदद कर रहे हैं। हमें केवल न्याय चाहिए, सियासत नहीं।
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(Udaipur Kiran) / Krishna Mohan Mishra
