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किन्नौर में जन्माष्टमी मनाने गए दिल्ली के दो श्रद्धालुओं की भूस्खलन से मौत

शिमला, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी है और भारी बारिश व भूस्खलन से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। शनिवार को किन्नौर जिला में जन्माष्टमी के पर्व पर बड़ा हादसा हो गया। निचार ब्लॉक के यूला कांडा में जन्माष्टमी मनाने जा रहे दिल्ली के दो श्रद्धालु पहाड़ से गिरे पत्थरों की चपेट में आ गए। इससे उनकी मौत हो गई। मृतकों की पहचान 27 वर्षीय प्रशील बागमारे पुत्र सिद्धार्थ बागमारे निवासी रामा विहार, गली नंबर-4, मकान नंबर C-173, दिल्ली और 25 वर्षीय रश्मि पुत्री अनिल राम निवासी RZ-26A, बी ब्लॉक, अर्जुन बेस, नवाबगढ़, नई दिल्ली के रूप में हुई है। दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सीएचसी भाभा नगर भेजा गया है और परिजनों को सूचित कर दिया गया है। किन्नौर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक एस ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि लगातार बारिश के कारण क्षेत्र में पत्थर गिरने की घटनाएं हो रही हैं।

हिमाचल में अब तक इस मानसून सीजन में भारी तबाही दर्ज की जा चुकी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अब तक 261 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 37 लोग लापता और 332 घायल हैं। मृतकों में सबसे ज्यादा 47 मंडी जिले से हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 40, चंबा में 30, शिमला में 26, किन्नौर में 24, कुल्लू में 22, हमीरपुर और सोलन में 16-16, ऊना में 14, बिलासपुर में 10, सिरमौर में 9 और लाहौल-स्पीति में 7 लोगों की मौत दर्ज की गई है।

प्रदेश में मौसम विभाग ने 19 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार 17 अगस्त को चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर, 18 अगस्त को केवल कांगड़ा और 19 अगस्त को कांगड़ा व मंडी जिलों में भारी वर्षा की संभावना है। 20 से 22 अगस्त तक भी मौसम खराब रहेगा।

राजधानी शिमला में शनिवार को बारिश थमने से थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन छोटा शिमला थाना क्षेत्र के विकासनगर–पंथाघाटी मार्ग पर भारी भूस्खलन हो गया। मलबा गिरने से सड़क कई घंटे बाधित रही और अब भी पूरी तरह बहाल नहीं हो पाई है। प्रशासन ने आशंका जताई है कि सड़क किनारे खड़ी कुछ गाड़ियां भी मलबे में दब सकती हैं। वहीं, शिमला के सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी उफान पर है और पानी आईटीआई, फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया है। एहतियातन सुन्नी पुल पर आवाजाही रोक दी गई है।

उधर कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। व्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से मंड भोग्रवां गांव में एक बहुमंजिला मकान का हिस्सा बह गया। हालांकि समय रहते घर को खाली करा लिया गया जिससे बड़ा हादसा टल गया।

प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन से सड़कें, बिजली और पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शनिवार शाम तक दो नेशनल हाईवे और 311 सड़कें अवरुद्ध थीं। इनमें अकेले मंडी जिले की 175 सड़कें शामिल हैं, जबकि कुल्लू में 63, कांगड़ा में 25, चंबा में 12 और शिमला में 13 सड़कें बंद रहीं। किन्नौर में एनएच-5 और कुल्लू में एनएच-305 बाधित है। बिजली व्यवस्था भी प्रभावित है। प्रदेश में 348 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जिनमें से 322 केवल मंडी जिले में हैं। इसके अलावा 119 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिनमें मंडी की 44, कांगड़ा की 41 और शिमला की 11 योजनाएं शामिल हैं।

मॉनसून की मार से प्रदेश में अब तक 2,385 मकानों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें 566 पूरी तरह ढह गए। 360 दुकानों और 2,174 पशुशालाओं को भी क्षति हुई है। अकेले मंडी जिले में 1,255 मकान क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें 430 पूरी तरह गिर गए, जबकि 287 दुकानें और 1,208 पशुशालाएं नष्ट हो गईं। इस अवधि में 1,626 पशुओं और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है।

सरकारी आकलन के अनुसार प्रदेश को अब तक 2,144 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसमें सबसे ज्यादा हानि लोक निर्माण विभाग को हुई है, जिसे 1,188 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जलशक्ति विभाग को 697 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है। अब तक प्रदेश में 63 भूस्खलन, 74 बाढ़ और 34 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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