
लखनऊ, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी की जन्म जयंती पर शनिवार को भाजपा ने पुष्पार्चन कर उनके शौर्य, पराक्रम और राष्ट्रप्रेम को कृतज्ञ नमन किया। राजधानी लखनऊ में भाजपा प्रदेश मुख्यालय गेट नं. 02 के सामने स्थित वीरांगना की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने पुष्पार्चन व माल्यार्पण कर नमन किया।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वीरांगना को नमन करते हुए कहा कि 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास की अमर गाथा है। वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी ने इस महासमर में अपने अदम्य साहस नेतृत्व क्षमता और मातृभूमि प्रेम का ऐसा परिचय दिया जो आज भी राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत है। वीरांगना के अदम्य साहस ने यह सिद्ध किया कि नारी शक्ति हर युग और हर क्षेत्र में अग्रणी रही है। महारानी ने अपने प्राणोत्सर्ग से हम सभी को संदेश दिया कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान से बड़ा कोई मूल्य नही है। आज वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए संकल्प लेते है कि उनके सपनों का आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वाभिमानी भारत ही हम सभी का ध्येय होगा।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की दीपशिखा को नमन करते हुए कहा कि 1857 में जब देश ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बिगुल फूंका तब रामगढ़ की महारानी वीरांगना अवंती बाई लोधी ने अद्वितीय शौर्य, पराक्रम और नेतृत्व क्षमता से मुकाबला किया। वीरांगना अवंती बाई लोधी सिर्फ एक नारी नही थी, बल्कि नारीशक्ति और मातृभूमि भक्ति की जीवंत प्रतिमूर्ति थी। स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान करके वीरांगना ने आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता, आत्मसम्मान, आत्मगौरव और मातृभूमि के रक्षा के लिए सर्वस्व समर्पण करने की प्रेरणा दी। आज वीरांगना की जयंती पर हम अमर शहीद वीरांगना अवंती बाई लोधी को नमन करते हुए संकल्पित है कि हम उनके द्वारा प्रशस्त मार्ग का अनुसरण करते हुए राष्ट्र प्रथम के लिए स्वयं को समर्पित करेंगे।
–महारानी अवंती बाई लोधी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकितप्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने वीरांगना को नमन करते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। अपनी अदम्य शक्ति से 1857 के महायुद्ध में अंग्रेेजी साम्राज्य को ललकारते हुए अपने प्राणो की आहुति देकर स्वतंत्रता की ज्योति को प्रज्ज्वलित रखा। वीरांगना अवंती बाई का बलिदान हमें सिखाता है कि नारी शक्ति राष्ट्र की प्रेरणा और सामर्थ्य है। संगठन, साहस और पराक्रम से ही इतिहास लिखा जाता है। उन्होंने कहा कि वीरांगना ने स्वाभिमान की रक्षा में प्राणों का अर्पण कर सच्चे राष्ट्रधर्म का मार्ग प्रशस्त किया। उनके शौर्य, स्वाभिमान और बलिदान की अमर गाथा और उनके आदर्शो की ज्योति राष्ट्र भक्ति के लिए राष्ट्र को आलोकित करती रहेगी। उनका बलिदान हमें आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत के निर्माण के लिए सदैव प्रेरित करता रहेगा।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
