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(राउंडअप) हिमाचल प्रदेश में 19 अगस्त तक भारी वर्षा का येलो अलर्ट, शिमला में भूस्खलन

शिमला में मौसम

शिमला, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर लगातार जारी है। मौसम विभाग ने 19 अगस्त तक राज्य के कई जिलों में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के अनुसार, 17 अगस्त को चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में, 18 अगस्त को केवल कांगड़ा में और 19 अगस्त को कांगड़ा व मंडी जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। वहीं 20 से 22 अगस्त तक मौसम खराब रहेगा, लेकिन इन दिनों के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है।

शिमला में भूस्खलन और सुन्नी में बाढ़ जैसे हालात

राजधानी शिमला में शनिवार को बारिश नहीं हुई, जिससे लोगों ने थोड़ी राहत महसूस की, लेकिन छोटा शिमला थाना क्षेत्र के विकासनगर- पंथाघाटी मार्ग पर भारी भूस्खलन हुआ। पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा गिरने के कारण सड़क कई घंटे अवरुद्ध रही। मशीनरी की मदद से एक लेन को खोल दिया गया है, लेकिन पूरी तरह बहाल होने में अभी समय लगेगा। आशंका जताई जा रही है कि सड़क किनारे खड़ी कुछ गाड़ियां भी मलबे में दब सकती हैं।

उधर, शिमला के सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी के उफान पर आने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। नदी का पानी आईटीआई, फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया। सुन्नी पुल पर आवाजाही बंद कर दी गई है और लोगों को सतलुज से दूर रहने की चेतावनी दी गई है। कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी ने भी हालात बिगाड़े हैं। व्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से मंड भोग्रवां गांव में एक बहुमंजिला मकान का हिस्सा बह गया। हालांकि समय रहते घर खाली करा लिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।

सड़कें और यातायात बुरी तरह प्रभावित

भारी बारिश से सड़कों और यातायात पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शनिवार शाम तक प्रदेश में दो नेशनल हाईवे और 311 सड़कें अवरुद्ध थीं। इनमें अकेले मंडी जिले की 175 सड़कें शामिल हैं। कुल्लू में 63, कांगड़ा में 25, चंबा में 12 और शिमला में 13 सड़कें ठप रही। कुल्लू में नेशनल हाईवे 305 जहेड खनग के पास बंद है, जबकि किन्नौर में एनएच-5 बाधित है।

बिजली और पेयजल आपूर्ति ठप

प्रदेश में बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। कुल 348 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं जिनमें से 322 केवल मंडी जिले में हैं। 119 पेयजल योजनाएं ठप हैं, जिनमें मंडी की 44, कांगड़ा की 41 और शिमला की 11 योजनाएं शामिल हैं।

261 पहुंचा मौत का आंकड़ा, मंडी में सर्वाधिक 47 मौतें

मॉनसून सीजन में अब तक पूरे प्रदेश में भारी तबाही हुई है। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 261 लोगों की मौत हो चुकी है, 37 लोग लापता हैं और 332 घायल हुए हैं। मृतकों में सबसे ज्यादा 47 लोग मंडी जिले से हैं। कांगड़ा में 40, चंबा में 30, शिमला में 26, किन्नौर में 24, कुल्लू में 22, हमीरपुर और सोलन में 16-16, ऊना में 14, बिलासपुर में 10, सिरमौर में 9 और लाहौल-स्पीति में 7 लोगों की जान गई है।

2385 मकानों को नुकसान, 360 दुकानें और 2,174 पशुशलाएँ ध्वस्त

बारिश और भूस्खलन से मकान, दुकानें और पशुशालाएं भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। अब तक 2,385 मकानों को नुकसान पहुंचा है जिनमें 566 पूरी तरह ढह गए। 360 दुकानों और 2,174 पशुशलाएँ ध्वस्त हुई हैं। अकेले मंडी जिले में सबसे ज्यादा तबाही हुई है जहां 1,255 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, इनमें 430 पूरी तरह गिर गए। इसी जिले में 287 दुकानें और 1,208 पशुशालाएं नष्ट हो चुकी हैं। इस मानसून सीजन में 1,626 पशु और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।

मॉनसून से 2,144 करोड़ रुपये का नुकसान

सरकारी आकलन के अनुसार प्रदेश में मॉनसून से सार्वजनिक सम्पति को अब तक 2,144 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा हानि लोक निर्माण विभाग को हुई है जिसकी राशि 1,188 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि जलशक्ति विभाग को 697 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदेश में अब तक 63 भूस्खलन, 74 बाढ़ और 34 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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