
पटना, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) ।
बिहार में लंबित पड़े मुकदमों का निपटारा तेजी से करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के उदेश्य से पुलिस महकमा गवाही पर खासतौर से फोकस कर रहा है। इसके लिए एक विशेष ऑनलाइन व्यवस्था विकसित की गई है।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों को पेश करने की कवायद शुरू करने के साथ ही आने वाले समय में जल्द ही इससे संबंधित एक एप या एप्लिकेशन की शुरुआत होने जा रही है। इस पर खासतौर से पोस्टमार्टम या किसी मुकदमे में इंज्यूरी रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टरों को पेश करने की व्यवस्था की गई है। क्योंकि मुकदमों की तारीख पर पेशी के दौरान डॉक्टरों की पेशी सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्हें अदालत तक आने में कोई परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखते हुए यह खास एप विकसित किया गया है, जिसका नाम ‘मेडलीप पीआर’ है।
‘मेडलीप पीआर’ एप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आगामी 20 दिन में इसके शुरू हो जाने की संभावना जताई जा रही है। इस पर राज्य में किसी स्थान या अस्पताल में तैनात जिस डॉक्टर या मेडिकल ऑफिसर को गवाह के तौर पर जिस मुकदमे में पेश होना होगा, उसे इस एप से जोड़ दिया जाएगा। उन्हें कुछ दिन पहले की केस में पेश होने की तारीख और समय बता दिया जाएगा। अगर वे उस निर्धारित तारीख या समय पर पेश होने में असमर्थ होते हैं, इसी एप पर लॉग-इन करके सीधे विधायी प्रक्रिया से जुड़ सकते हैं और गवाही की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। इससे केस में गवाही की उपस्थिति मानी जाएगी और संबंधित केस में गवाही भी हो जाएगी।
इससे किसी केस को तय समय में निपटारा करने में समस्या नहीं होगी। किसी मुकदमे में पुलिस कर्मी को अदालत में पेश होकर हर हाल में गवाही देना अनिवार्य कर दिया गया है। इनकी सहूलियत का ध्यान रखते हुए 2007 में ही एक खास तरह का पोर्टल विकसित किया गया था। अब इस पोर्टल को फिर से पूरी तरह से सक्रिया किया जा रहा है। जिन पुलिसकर्मियों की तैनाती संबंधित अदालत से दूर-दराज के स्थान पर है, उनकी अदालत में गवाही इस पोर्टल के जरिए ही होगी। ‘मेडलीप पीआर’ एप के साथ ही इस पोर्टल को भी पूरी तरह सक्रिय करने की योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विनय कुमार ने इस एप के बारे में बताया कि निर्धारित समय पर अदालत में पुलिस कर्मियों और डॉक्टरों की गवाही सुनिश्चित कराने पर खासतौर से फोकस किया जा रहा है। ताकि सभी केस में समय पर गवाही करवाकर जल्द ही इन्हें अंजाम तक पहुंचाया जा सके। इससे केस को जल्द निपटाने में सहूलियत होगी और लंबित मामलों का निपटारा जल्द हो सकेगा। मामलों में गवाही तेज होने से दोषियों को सजा दिलाने में भी तेजी आएगी।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी
