
उज्जैन, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरूवार को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विक्रम विश्वविद्यालय परिसर लघु भारत बन गया। सुमन मानविकी भवन का परिसर देश की विभिन्न 22 भाषाओं और अनेक बोलियों के देशभक्ति काव्यपाठ की रचनाओं से 6 घंटे तक गूंजता रहा। इस अवसर पर कुलगुरू प्रो. अर्पण भारद्वाज ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय में जल्द ही मलयालम भाषा शिक्षण का केंद्र स्थापित किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के सुमन मानविकी भवन में संस्कृत,वेद एवं ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला और भारतीय भाषा प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता का संघर्ष एवं भारतीय भाषा भाषियों का रचना पाठ हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से जुड़ी 22 भाषाओं और अनेक बोलियों में कविता, गीत और लोक प्रस्तुतियाँ हुई। मलयालम, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती, सिंधी, बांग्ला, उर्दू, निमाड़ी, मालवी, अरुणाचली, संस्कृत और हिंदी सहित 22 भाषाओं के कवियों और विद्यार्थियों ने मंच संभाला। हर प्रस्तुति के साथ सभागार में कभी देशभक्ति का जोश उमड़ता तो कभी श्रोताओं की आंखें नम हो जाती। इस आयोजन का उद्देश्य भाषा के माध्यम से एकता का संदेश देना था।
विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो.अर्पण भारद्वाज ने अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल की कविता की पंक्तियों-मैं अमर शहीदों का चारण, उनके गुण गाया करता हूँ, जो कर्ज राष्ट्र ने खोया है, मैं उसे चुकाया करता हूँ…का पाठ किया। उन्होने कहाकि आज विवि परिसर एक लघु भारत में परिवर्तित लग रहा है। हर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा के साथ अपने गांव और अपने घर की याद लेकर आया है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रबल करता है। उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय में जल्द ही मलयालम भाषा शिक्षण का केंद्र स्थापित होने वाला है। यह निर्णय उच्च शिक्षा मंत्री के आदेशानुसार लिया गया हैए ,जिसमें मध्यप्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में प्रांत के अलावा एक अन्य भाषा के शिक्षण की व्यवस्था शुरू की जाना है।
भारतीय भाषा प्रकोष्ठ की समन्वयक तथा विश्वविद्यालय की कला संकायाध्यक्ष प्रो. गीता नायक ने कहा कि हमें देश के प्रति सक्रिय और जागरूक रहना होगा। भाषा हमें जगाने का कार्य करती है। आज भाषाओं के अनेक रूप हैं,परंतु देश के प्रति सम्मान की भावना हर दिल में समान होनी चाहिए। उन्होंने कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता किसको नमन करूं मैं …. का पाठ किया और कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई हर भाषाए हर बोली और हर समुदाय ने मिलकर लड़ी है। संचालन गोपाल गर्वित ने किया। आभार प्रो.बीके आंजना ने माना।
—————
(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
