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महिला सशक्तिकरण अब सिर्फ नारा नहीं बल्कि यथार्थ बनाः राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए

नई दिल्ली, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए युवा, महिलाएं और हाशिये के वर्ग को भारत की प्रगति के तीन स्तंभ बताया है।

हाशिये पर रह चुके वर्गों के सशक्तिकरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अन्य वंचित समुदाय अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इन समुदायों के लोग अब हाशिए पर होने का टैग हटा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने युवाओं को देश की शक्ति बताते हुए कहा कि उनके लिए रोजगार और उद्यमिता के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की उपलब्धियों और ‘गगनयान’ मिशन का उल्लेख करते हुए युवाओं की वैज्ञानिक क्षमता को रेखांकित किया। यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।

खेलों में भी युवाओं की भूमिका को सराहते हुए उन्होंने विशेष रूप से शतरंज में भारत की बढ़ती साख का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेल नीति 2025 के तहत भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति बनाया जाएगा।

महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हुए उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने शतरंज विश्व कप के फाइनल में दो भारतीय महिलाओं की उपस्थिति को महिला-शक्ति का प्रतीक कहा। राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण अब केवल एक नारा न रहकर यथार्थ बन गया है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने पिछले सप्ताह सात अगस्त को मनाए गए ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ का जिक्र करते हुए कहा कि महात्मा गांधी द्वारा प्रोत्साहित स्वदेशी आंदोलन ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों की नींव रखी। उन्होंने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि वे भारत में बने उत्पादों को अपनाएं और स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा दें।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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