
विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गोष्ठी
वाराणसी,14 अगस्त (Udaipur Kiran) । जब हम 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता का अमृत अनुभव कर रहे थे, उसी समय हमारे देश के करोड़ों लोग विभाजन की आग में जल रहे थे। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा ने कही। कुलपति प्रो. शर्मा विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर गुरूवार को विवि के योग साधना केन्द्र में आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति ने कहा कि यह दिन हमें उस भयावह त्रासदी की याद दिलाता है, जिसने न केवल लाखों लोगों की जिंदगियों को बर्बाद किया, बल्कि हमें एक अमूल्य सीख भी दी विभाजन और हिंसा से कभी कोई समस्या हल नहीं होती, बल्कि वे समाज और देश को और भी कमजोर बना देते हैं।
गोष्ठी में मुख्य वक्ता तुलनात्मक धर्म दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि विभाजन की इस विभीषिका ने हमारे समाज, हमारी संस्कृति और हमारी एकता को गहरा आघात पहुंचाया। लाखों लोग अपने घरों से बेघर हुए, हजारों निर्दोष लोग मारे गए और अनेकों परिवार हमेशा के लिए बिछड़ गए। यह केवल एक भौगोलिक विभाजन नहीं था, बल्कि यह हमारे दिलों और हमारे समाज के ताने-बाने में भी एक गहरा जख्म था, जिसकी टीस आज भी महसूस होती है।यह दिवस विभाजन से जुड़ी कटु स्मृतियों की याद दिलाता है। देश ने आजादी की भारी कीमत चुकाई है। आज आजादी से पूर्व देश हुतात्माओं को श्रद्धांजलि दे रहा है।
कार्यक्रम के संयोजक एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो. शैलेश कुमार मिश्र ने गोष्ठी का संचालन किया। गोष्ठी में हुतात्माओं की याद में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गोष्ठी में कुलसचिव राकेश कुमार, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ कुंजबिहारी द्विवेदी, डॉ विजेन्द्र कुमार, डॉ कमलेश झा आदि की उपस्थिति रही।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
