

नई दिल्ली, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत-फ्रांस महासागर मिशन में भारत ने 5,000 मीटर गहराई तक गोता लगाने का कीर्तिमान हासिल किया। पांच अगस्त को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के वैज्ञानिक राजू रमेश अटलांटिक महासागर में 4,025 मीटर नीचे उतरे।
इसके अगले दिन सेवानिवृत्त नौसेना कमांडर जतिंदर पाल सिंह ने 5,002 मीटर गहराई में गोता लगाया।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने गुरुवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इसका उद्देश्य था कि भारत अपने स्वयं के पनडुब्बी यान मत्स्य 6000 के साथ ऐसा प्रयास करने से पहले प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त कर सके। समुद्रयान परियोजना का उद्देश्य ऐसी तकनीक विकसित करना है जिससे समुद्र की गैर-जीवित संसाधनों का दोहन किया जा सके और एक ऐसा पनडुब्बी यान तैयार करना है जो मनुष्यों को समुद्र की गहराई तक खोज के लिए ले जा सके।
उन्होंने बताया कि
मत्स्य 6000 पनडुब्बी जो संभवतः दिसंबर 2027 तक तैयार हो जाएगा, तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक एक टाइटेनियम मिश्रधातु गोले के भीतर ले जाएगा। इसमें वैज्ञानिक उपकरण, संचार प्रणालियां और सुरक्षा सुविधाएं होंगी, साथ ही आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक संचालन की क्षमता भी होगी। राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई के सहयोग से क्रियान्वित किए गए इस मिशन से भविष्य के गहरे समुद्री अभियानों का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिसमें हिंद महासागर में अत्यधिक गहराई पर पहला मानवयुक्त मिशन भी शामिल है।
पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक तरफ जहां अंतरिक्ष में भारतीय शुभांशु शुक्ला ने देश का परचम लहराया और लगभग उसी समय दो भारतीय गहरे समुद्र में उतर रहे थे। यह भारत के लिए दोहरी विजय का अवसर है। यह मिशन गहरे समुद्र मिशन के तहत भारत-फ्रांस सहयोग का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य गहरे समुद्री वातावरण में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाना है। समुद्र की गहराइयों में खोज से देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरे समुद्र मिशन और नीली अर्थव्यवस्था में गहरी रुचि दिखाई है।
सुमद्रयान परियोजना को 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इस मिशन में मानवयुक्त और मानवरहित पनडुब्बियां, गहरे समुद्र में खनन तकनीक, जैव विविधता अनुसंधान और समुद्र आधारित ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं। इसका उद्देश्य भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ के भीतर संसाधनों की खोज और उपयोग करना है।
डॉ. सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि भारत की महत्वाकांक्षी मत्स्य 6000 परियोजना की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह समुद्रयान परियोजना के तहत देश की पहली स्वदेशी रूप से विकसित गहरे समुद्र की मानव पनडुब्बी है।
मत्स्य 6000 को गहरे समुद्र में अन्वेषण, संसाधन मूल्यांकन और जैव विविधता अध्ययन के लिए 6,000 मीटर तक की गहराई तक पहुंचने के लिए डिजाइन किया गया है।
————
(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
