
– ड्राफ्ट लिस्ट में नाम काटने की वजह बताने और पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड स्वीकार करने का निर्देश
नई दिल्ली, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद प्रकाशित की गई ड्राफ्ट लिस्ट से हटाये गए
65 लाख मतदाताओं के नाम 48 घंटे के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश उच्चतम न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है। साथ ही वेबसाइट पर वजह बताने को भी कहा गया है कि उनका नाम क्यों काटा गया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को स्वीकार करें। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को यह भी निर्देश दिया कि कोर्ट ने कहा कि इस बात की सूचना सभी प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो के जरिए दी जाए। यह लिस्ट सभी संबंधित बीएलओ के ऑफिस के बाहर, पंचायत भवन और बीडीओ के ऑफिस के बाहर लगाई जाए। गुरुवार काे सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील निजाम पाशा ने कहा कि फॉर्म जमा करने के बावजूद लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं किये जा रहे हैं। मैंने ऐसे लोगों के हलफनामे यहां संलग्न किए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक बूथ से ही 231 नाम हटाए गए हैं, जो 2003 की मतदाता सूची में थे। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बीएलओ मनमर्जी से काम कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के वकील से पूछा कि जिन 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए हैं। मृतकों, विस्थापितों का नाम वेबसाइट पर क्यों नहीं डाला जा रहा है। अगर इसे सार्वजनिक कर दिया जाता तो वोटर लिस्ट के बारे में जो निगेटिव नैरेटिव है वह खत्म हो जाता। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा कि आपने सुना ही होगा कि ड्राफ्ट रोल में मृत और जीवित लोगों को लेकर गंभीर विवाद है। आपके पास ऐसे लोगों की पहचान करने का क्या तंत्र है, जिससे परिवार को पता चल सके कि हमारे सदस्य को वोटर लिस्ट में मृतक के रूप में शामिल कर दिया गया है।
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा पेश करने की कोशिश की गई कि बिहार आज भी अंधकार युग में है। बिहार में बाढ़ है, बिहार में गरीबी है, किसी के पास सर्टिफिकेट्स नहीं हैं। देश के पहले राष्ट्रपति बिहार से थे। बिहार बौद्धिक लोगों की धरती है। तब जस्टिस बागची ने कहा कि हां, बिहार लोकतंत्र की जन्मभूमि भी है। जस्टिस बागची ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के जरिए वोटर कार्ड रद्द हो जाएगा। वोटर कार्ड तो केवल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 22 के तहत प्रारंभिक जांच करने के बाद ही संभव है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
