मुंबई,14 अगस्त ( हि.स.) । दहीहांडी का उल्लास, थारा का रोमांच, ‘गोविंदा रे गोपाला’ का नारा और गणमान्य लोगों की उपस्थिति… ठाणे शहर इस समय उत्सव के रंगों में सराबोर है। हालाँकि, स्वास्थ्य विभाग ने इस खुशी के त्योहार में किसी भी गोविंदा को चोट न लगे और किसी की जान को खतरा न हो, इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। इसलिए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर दही मटकी के लक्ष्य को पाने हेतू ऊंचाई तक मानव श्रृंखला बनाते समय घायल हुए गोविंदा को टोली के युवकों के तुरंत उपचार करने के लिए ठाणे सिविल अस्पताल सक्षम है।
इस वर्ष, घायल गोविंदाओं के लिए ठाणे सिविल अस्पताल में 20 बिस्तरों वाला एक विशेष वार्ड बनाया गया है। ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार और अतिरिक्त ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ. धीरज महानगड़े के मार्गदर्शन में, इस वार्ड में सभी आवश्यक सुविधाएँ, दवाइयाँ और प्रशिक्षित चिकित्सा दल तैयार रखे गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी गोविंदा को दुर्घटना होने पर तुरंत उपचार मिल सके।
कई गोविंदा दलों ने दहीहांडी उत्सव के दौरान ऊँचा थारा लगाने की तैयारी की है। सच्ची गोविंदा परंपरा की पहचान सीढ़ी चढ़ते समय एक-दूसरे का हाथ थामकर चलने, एक-दूसरे को कंधों पर उठाने और गिरने पर उन्हें थामने से होती है। हालाँकि, किसी दुर्घटना में गोविंदा के गिरकर घायल होने की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में, सिविल अस्पताल का एक विशेष कक्ष मददगार साबित हो सकता है।
ठाणे जिला शल्य चिकित्सक डॉ कैलाश पवार ने बताया धार्मिक रूप से दहीहांडी न केवल शक्ति, कौशल और मित्रता का उत्सव है, बल्कि यह स्नेह, आत्मीयता और सुरक्षा की भावना का भी प्रतीक है। इस उत्सव में प्रत्येक गोविंदा की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसलिए, यदि कोई गोविंदा दहीहांडी की मीनार स्थापित करते समय घायल हो जाता है, तो उसके लिए सिविल अस्पताल में एक विशेष कक्ष की व्यवस्था की गई है।
इधर सामाजिक कार्यकर्ता दीपक सावंत ने कहा कि शहर के प्रमुख दहीहांडी स्थलों पर एम्बुलेंस लगातार तैयार रहेंगी और आपातकालीन सेवाओं के लिए प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारी मौके पर ही उपचार प्रदान करने के लिए उपलब्ध रहेंगे। इस व्यवस्था की तैयारी के कारण, दुर्घटना के बाद बिना एक पल भी बर्बाद किए जान बचाना संभव है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
