ग्रेटर नोएडा, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । देश की सर्वोच्च न्यायालय की ओर से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक से संबंधित आदेश के बाद नोएडा में रहने वाले करीब ढाई लाख वाहन चालकों ने राहत की सांस ली है। चार सप्ताह बाद रिपोर्ट पेश होने पर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर में लाखों वाहन ऐसे हैं, जिनकी समय सीमा पूरी होने के बाद भी स्क्रैप कराने या शहर से बाहर वाहन को ले जाने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं लिया है। जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक ऐसे पुराने वाहनों की संख्या ढाई लाख के आसपास है। इसमें 10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहन और 15 साल पुराने कमर्शियल पेट्रोल वाहन भी शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के विस्तृत आदेश आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। वहीं नोएडा में रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राहत की सांस ली है।
लोगों का कहना है कि उनके पास जो वाहन हैं वे काफी अच्छी स्थिति में है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि उन्होंने अपने वाहन को 10 साल में 40 से 50 हजार किलोमीटर तक ही चलाया है। उनके वाहन नई की स्थिति में है। लेकिन 10 साल और 15 साल की पाबंदी के वजह से उन्हें अपने वाहन को या तो स्क्रैप करवाना पड़ रहा है या मिट्टी के भाव में अन्य जगहों पर ट्रांसफर कराने के लिए बेचना पड़ रहा है।
नोएडा के सेक्टर 78 स्थित अंतरिक्ष सोसाइटी में रहने वाली अधिवक्ता विद्योत्मा ने बताया कि उनके पास पुरानी डीजल कार है। उनकी कार काफी अच्छी-अच्छी स्थिति में है। उन्होंने नौ साल में सिर्फ 40 हजार किलोमीटर अपनी कार चलाई है। 10 साल की वैधता के चलते उन्हें अपनी कार बेचने के लिए लोगों से संपर्क करना पड़ रहा है, जो की लग्जरी कार की कीमत हजारों में लगा रहे हैं।
इसी तरह सेक्टर 40 में रहने वाले पुरुषोत्तम चौधरी का कहना है कि उनके पास टोयोटा की पेट्रोल वर्जन की इटीयोस कार है, जो की काफी अच्छी स्थिति में है। वह फिल्म लाइन में काम करते हैं। उनका घर पर रहना कम होता है तथा बाहर आने-जाने के लिए उन्हें फिल्म प्रोडेक्शन की तरफ से वाहन मिलता है लेकिन 15 साल की वैधता के चलते उन्हें अपनी अच्छी कार को सस्ते दाम पर बेचना पड़ रहा है। नोएडा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है।
(Udaipur Kiran) /सुरेश
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(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा
