
–इविवि में भारत विभाजन की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी
प्रयागराज, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत विभाजन की घटना एक ऐतिहासिक भूल थी। जिसका दुष्परिणाम भारत-पाकिस्तान सहित पूरा विश्व आज भी भोग रहा है। उक्त विचार इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास के अध्यक्ष प्रो संजय श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बुधवार को विभाजन विभीषिका दिवस की पूर्व संध्या पर संस्थान के सभागार में ‘भारत विभाजन और वर्तमान भारत : एक समसामयिक मूल्यांकन’ पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रो संजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत विभाजन के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। जिनमें विशेष है, मो अली जिन्ना का अहंकार और महात्मा गांधी से राजनैतिक ईर्ष्या, पं जवाहर लाल नेहरू की स्वतंत्रता प्राप्त के लिए जल्दबाजी और कांग्रेस के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व की वैचारिक जड़ता।
उन्होंने आगे कहा कि मो जिन्ना ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ लिप्सा पूर्ति के लिए दंगे और अस्थिरता फैलाने की खुली चुनौती दी। जिसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार का समर्थन प्राप्त था और कांग्रेस नेतृत्व ने इसके आगे घुटने टेक दिये, जिसका परिणाम था भारत का विभाजन। उन्होंने कहा कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के लंदन में बैठे कर्णधारों ने अपनी सोची समझी रणनीति-‘फूट डालो और राज करो’ को आगे बढ़ाया और भारत विभाजन की घटना को अंजाम दिया। जिससे बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भी ब्रिटिश हुकूमत की प्रभुता और वर्चस्व बना रहे। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिटिश सरकार और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व अपनी इच्छा शक्ति का परिचय देती तो भारत विभाजन को टाला जा सकता था या नहीं, यह गम्भीर विमर्श का विषय है लेकिन विभाजन के दुष्प्रभावों को कम जरूर किया जा सकता था।
इविवि, राजनीति विभाग के सह आचार्य डॉ सूर्य भान ने कहा 1916 का लखनऊ पैक्ट विभाजन की आधारशिला थी तथा यदि सुनियोजित ढंग से तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व ने यदि स्वतंत्रता को कुछ और समय के लिए टाल दिया होता तो भारत विभाजन से बचा जा सकता था। महात्मा गांधी का अपने को असहाय दिखाना कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। कयोंकि गांधी का समूचा व्यक्तित्व इस बात का सबूत है कि यदि वे भारत विभाजन को किसी भी स्थिति में स्वीकार न करते तो ब्रिटिश सरकार और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व भारत विभाजन को व्यवहार रूप में परिणित न कर पाता।
इसके पूर्व गोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए समन्वयक डॉ अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि भारत विभाजन एक भयावह मानवीय त्रासदी है, जो तत्कालीन वैश्विक राजनीति के दुष्परिणाम और ब्रिटिश हुकूमत के अनैतिक और लालची साम्राज्यवाद के वैचारिक गर्भ से जन्म लेती है। अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक प्रो राकेश सिंह ने किया। गोष्ठी में इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के सहायक आचार्य डा हरेन्द्र नारायण सिंह, डॉ आनंद प्रताप चंद, डॉ कुलदीप कुमार मिश्र, डॉ चन्द्रभान यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
