
विभीषिका का शिकार हुए राजेन्द्र सपड़ा के परिजन सुनाया करते थे विभाजन की व्यथाहिसार, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । देश की आजादी से एक दिन पहले मिले विभाजन के दंश को कभी भुला व भुलाया नहीं जा सकता। स विभाजन के समय अनगिनत लोगों ने जहां अपनों को खोया, घर परिवार खोया वहीं अनगिनत लोगों की जान तक चली गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आजादी से एक दिन पूर्व विभाजन विभीषिका दिवस मनाने का यही प्रयोजन है कि हम अपने उन जानकारों, परिजनों व सगे संबंधियों को याद करें, जो उस समय हमसे किसी न किसी रूप में बिछड़ गए।यह बात भाजपा जिला मीडिया प्रमुख राजेन्द्र सपड़ा ने बुधवार काे विभाजन विभीषिका दिवस के अवसर पर अपने विचार सांझा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि वे भी परिवार से संबंधित है, जो विभाजन के समय बिछड़कर यहां आया। उनके पिता जी, माता व परिजन बताते थे कि विभाजन विभीषिका के दौरान बड़ा खूनी खेल खेेला गया, चारों तरफ तबाही का मंजर, अनेक परिजन, सगे संबंधी व जानकार बिछड़ गए और जो बच गए, वो किसी तरह जान बचाते हुए यहां पहुंचकर अपने कारोबार में लगे। यहां जान बचाकर पहुंचे लोगों के मन में अपनों व अपना कारोबार खोने की टीस थी लेकिन केवल उन्होंने हार नहीं मानी और देश व धर्म का साथ देते हुए आजाद भारत में रहते हुए मेहनत करके अपनी जीविका फिर से शुरू की।राजेन्द्र सपड़ा ने कहा कि उनके पिता व कई अन्य जानकार परिवार समय की विभाजन की जीवंत तस्वीरें जब बयां करते थे तो सुनकर भी रूह कांप उठती थी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तव में जिन लोगों ने विभाजन विभीषिका देखी या जो शिकार हुए, वे कितने प्रताड़ित व पीड़ित हुए होंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनने के बाद विभाजन विभीषिका दिवस मनाकर उन जाने अनजाने अपने लोगों को याद करने के लिए यह दिवस मनाया जाने लगा ताकि आजादी की खुशी में हम अपने उन लोगों को न भूल जाएं, जिनका आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैै।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
