Bihar

डबल इंजन सरकार में सीओ का फरमान: वृद्ध उद्यमी की चूड़ा मिल बंद

दरभंगा, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत छोटे उद्योगों और घरेलू उद्यमिता को बढ़ावा देने की बात करते हैं, वहीं बिहार में उनकी सहयोगी सरकार के एक सर्किल ऑफिसर (सीओ) पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी कानूनी आदेश के एक वृद्ध उद्यमी का लघु उद्योग बंद करवा दिया।

मामला तारडीह प्रखंड (दरभंगा) के नदियामी गांव का है। आरोप है कि सर्किल ऑफिसर दिलीप गुप्ता और थाना प्रशासन ने बुद्धन ठाकुर की चूड़ा मिल को प्रदूषण का हवाला देकर बंद कर दिया। पीड़ित का कहना है कि न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की अनुमति थी, न जिला पदाधिकारी का आदेश, और न ही कोई लिखित नोटिस।

बुद्धन ठाकुर के अनुसार, उन्हें पहले साप्ताहिक जनता दरबार में बुलाया गया, जहाँ मौखिक रूप से उद्योग बंद करने का निर्देश दिया गया।

जब मैंने आदेश की प्रति मांगी, तो सीओ ने कहा कि आदेश ऑनलाइन उपलब्ध है और एसडीओ के पास जाने की सलाह दी।

करीब तीन-चार महीने से मिल बंद है, जिससे न सिर्फ उनका, बल्कि कई मजदूरों का रोज़गार खत्म हो गया है।

पीड़ित का आरोप है कि यह कार्रवाई पूर्णतः ग़ैर-क़ानूनी और मानवीय दृष्टि से भी अनुचित है, क्योंकि किसी प्रकार का वैकल्पिक रोजगार या मुआवज़ा नहीं दिया गया। बुद्धन ठाकुर ने जिला प्रशासन और जिला उद्योग केंद्र के पदाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाते हुए अपने लघु उद्योग को पुनः चालू कराने की मांग की है।

इस मामले पर दरभंगा के युवा तेजतर्रार अधिवक्ता प्रिंस मिश्रा का कहना है—बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या जिला पदाधिकारी के लिखित आदेश के किसी उद्योग को बंद करना सीधा कानून का उल्लंघन है। यह न केवल पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है, बल्कि भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत अपराध भी है। पीड़ित चाहे तो बीएनकएस की धारा 166 (सरकारी आदेश का उल्लंघन), 341 (अवैध बाधा), 504-506 (धमकी और अपमान) और 34 (साझा इरादा) में एफ आई आर दर्ज कर सकता है। साथ ही, सिविल कोर्ट में हर्जाने के लिए डैमेज सूट भी दायर किया जा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घटना डबल इंजन सरकार की नीतियों और ज़मीनी सच्चाई के बीच का विरोधाभास उजागर करती है। एक ओर केंद्र सरकार छोटे उद्योगों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं राज्य स्तर पर ऐसे फैसले उद्यमिता और रोजगार दोनों को चोट पहुंचा रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / Krishna Mohan Mishra

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