
शिमला, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में जारी ऑरेंज अलर्ट के बीच बीते 24 घंटों में बारिश से लोगों को कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है। इस दौरान सोलन जिला के कसौली में सबसे अधिक 23 मिमी, बिलासपुर के नैना देवी में 18 मिमी और शिमला जिला के सराहन में 15 मिमी बारिश दर्ज की गई। राजधानी शिमला में मंगलवार से बारिश थमी हुई है, हालांकि आज बुधवार को आसमान में बादल छाए हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आज और कल यानी 13 व 14 अगस्त को राज्य में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन दो दिनों में बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी वर्षा हो सकती है, जबकि ऊना, हमीरपुर, चंबा, कुल्लू और सोलन में येलो अलर्ट रहेगा। 15 से 19 अगस्त तक येलो अलर्ट जारी रहेगा, जिसमें 15 व 16 अगस्त को ऊना, चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर में भारी बारिश की संभावना है।
भारी वर्षा के कारण राज्य में भूस्खलन की घटनाएं जारी हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बुधवार सुबह तक भूस्खलन से दो नेशनल हाइवे—305 (कुल्लू के जहेड-खनग) और 505 (लाहौल-स्पीति) के अलावा 326 सड़कें बंद हैं। मंडी में 180, कुल्लू में 73, चंबा में 37 और कांगड़ा में 25 सड़कें अवरुद्ध हैं। बारिश कम होने से बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है और अब सिर्फ 37 ट्रांसफार्मर बंद हैं। इनमें मंडी के 24, लाहौल-स्पीति के 11 और कुल्लू के 2 शामिल हैं। जल आपूर्ति भी प्रभावित है, फिलहाल 181 पेयजल योजनाएं ठप हैं। इनमें मंडी की 72 और कांगड़ा की 41 प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।
इस मानसून सीजन में अब तक 240 लोगों की मौत, 36 के लापता और 324 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। मृतकों में मंडी के 47, कांगड़ा के 39, चंबा के 26, शिमला व कुल्लू के 21-21, किन्नौर व हमीरपुर के 16-16, सोलन के 15, ऊना के 14, बिलासपुर के 10, सिरमौर के 9 और लाहौल-स्पीति के 6 लोग शामिल हैं। राज्य में अब तक 2,124 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 509 पूरी तरह ढह गए। इसके अलावा 311 दुकानें और 1,993 पशुशालाएं नष्ट हुई हैं। अकेले मंडी में 1,188 घर क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें 410 पूरी तरह ढह गए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अब तक 2,011 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 1,071 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 686 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। इस बरसात के दौरान 55 भूस्खलन, 60 बाढ़ और 30 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
