सिरसा, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । सिरसा की अदालत ने नाबालिग के यौन शोषण मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए मंगलवार को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। मामले के अनुसार पुलिस ने हिसार निवासी कुलदीप के खिलाफ सिरसा के महिला थाना में नाबालिगा के यौन शोषण मामले में केस दर्ज किया था । पुलिस ने पीडि़ता के बयान दर्ज कर तमाम सबूत जुटाए।
पुलिस द्वारा की गई गहन और निष्पक्ष जांच के दौरान डिजिटल व तकनीकी साक्ष्य जैसे मोबाइल डाटा, सीडीआर, मेडिकल रिपोर्ट और पीडि़ता के 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयान सहित अनेक प्रमाण एकत्रित किए गए। पुलिस द्वारा पेश किए गए पुख्ता साक्ष्य और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत गवाहों की सशक्त व प्रभावशाली गवाही ने अदालत के समक्ष एक ठोस केस प्रस्तुत किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. नरेश कुमार सिंघल ने मंगलवार को साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराते हुए 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोषी को 50 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है।
स्थानीय पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर लाखों रुपये की ठगी करने के मामले का खुलासा करते हुए एक आरोपी को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। आर्थिक अपराध शाखा प्रभारी श्याम सुंदर ने मंगलवार को बताया कि यह अभियोग हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी के सचिव कृष्ण कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया था। पुलिस ने महत्वपूर्ण सुराग जुटाकर आरोपी विकास शर्मा निवासी गाजियाबाद को गिरफ्तार किया है। पुलिस दो आरोपियों सुखविंद्र सिंह निवासी भंभूर सिरसा व सीताराम बोला निवासी हरि विष्णु कालोनी सिरसा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस के अनुसार आरोपी विकास शर्मा नेे सिरसा स्थित श्री सांई इंस्टीट्यूट के संचालक सीताराम बोला के साथ मिलकर बिना शिक्षा विभाग की अनुमति के करीब 45 फर्जी अंक तालिकाएं जारी की। इन अंक तालिकाओं पर परीक्षा नियंत्रक फरीद अहमद सेफी के डिजिटल हस्ताक्षर किए गए, जबकि फरीद अहमद जुलाई 2014 में त्यागपत्र दे चुके थे। जांच में यह भी सामने आया कि रूरल इंस्टीयूट्यूट ऑफ ओपन स्कूल द्वारा कुछ अंक तालिकाओं पर छत्तीसगढ़ ओपन स्कूल रायपुर बोर्ड से मान्यता/संबद्धता होने का उल्लेख किया गया है, जबकि उक्त मान्यता वर्ष 2013 में ही रद्द कर दी गई थी। आरोपी को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / Dinesh Chand Sharma
