
अयोध्या, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । रामनगरी में रामानुज संप्रदाय की प्रतिष्ठित पीठ उत्तर ताेताद्रिमठ, विभीषणकुंड के पूर्वाचार्य याेगिराज बालब्रह्मचारी स्वामी कमलाकांताचार्य महाराज काे संताें ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अवसर उनकी 11वीं पुण्यतिथि महाेत्सव का रहा। जाे मठ में निष्ठापूर्वक मनाई गई। संताें ने उन्हें श्रद्धा से याद किया।
साेमवार काे मठ प्रांगण में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में अयोध्याधाम के विशिष्ट संत-महंत एवं धर्माचार्याें ने स्वामी कमलाकांताचार्य के चित्रपट पर श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। साथ ही साथ उनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और अपनी-अपनी वाक पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पहले मठ में विराजमान लक्ष्मी वेंकटेश भगवान का सुबह दिव्य श्रृंगार किया गया। उसके बाद विविध पकवानाें का भाेग लगाकर पूजन-अर्चन, आरती हुआ। पुण्यतिथि महाेत्सव पर संत-महंत, धर्माचार्य, विशिष्टजन व मठ से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकराें ने प्रसाद ग्रहण किया। उत्तर ताेताद्रिमठ के वर्तमान पीठाधीश्वर श्रीमज्जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य महाराज एवं मैनेजिंग ट्रस्टी केशव नारायण दूबे द्वारा पधारे हुए संत-महंत, धर्माचार्य, विशिष्टजनाें का स्वागत-सत्कार किया गया।
इस अवसर पर श्रीमज्जगतगुरु स्वामी अनंताचार्य ने बताया कि भादाै कृष्णपक्ष द्वितीया तिथि पर मठ में गुरुदेव स्वामी कमलाकांताचार्य महाराज की ग्यारहवीं पुण्यतिथि मनाई गई। पुण्यतिथि महाेत्सव पर अयोध्या धाम के विशिष्ट संत-महंत, धर्माचार्य सम्मिलित हुए। जिन्होंने गुरुदेव को पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी। गुरुदेव गाै, संत सेवी हाेने के साथ-साथ विलक्षण प्रतिभा के धनी संत रहे। जिनका व्यक्तित्व बड़ा ही उदार था। सरलता ताे उनमें देखते ही झलकती थी। उनके अंदर संतत्व के सारे गुण रहे। उन्होंने आश्रम का सर्वांगीण विकास किया। जहां गाै, संत, विद्यार्थी, आगंतुक सेवा के साथ-साथ संस्कृत महाविद्यालय भी संचालित हो रहा। मठ अपने उत्तराेत्तर समृद्धि की ओर अग्रसर है। इसकी गणना अयोध्या प्रमुखतम पीठाें में हाेती है। गुरुदेव आज हमारे बीच में नही हैं। लेकिन उनकी यश-कीर्ति सदैव हम सबके साथ रहेगी। पुण्यतिथि पर महापाैर गिरीशपति त्रिपाठी, हनुमानगढ़ी के सरपंच रामकुमार दास, जगतगुरु स्वामी धरणीधराचार्य, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्यामनारायणाचार्य, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी सूर्यनारायणाचार्य, स्वामी बालकृष्णाचार्य, डॉ. सुनीता शास्त्री, स्वामी माधवाचार्य, आचार्य गाेविंद शास्त्री, स्वामी दाशरथी दास समेत अन्य संत-महंत, धर्माचार्य और मठ से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकर माैजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
