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ममता बनर्जी ने क्रांतिकारी खुदीराम बोस को एक हिंदी फिल्म में ‘सिंह’ बताने पर जताया विरोध

ममता

कोलकाता, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । अमर बलिदानी, अंग्रेजों के खिलाफ हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगाने वाले क्रांतिकारी खुदीराम बोस का आज 118वां शहादत दिवस है। उनकी पुण्यतिथि पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसी दौरान उन्होंने हाल ही में आई एक हिंदी फिल्म में खुदीराम बोस को ‘सिंह’ बताने पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे बंगाली गौरव का अपमान करार दिया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, एक बार विदा दे मां, घूरे आसी, हंसी-हंसी पोरबो फांसी, देखबे भारतबासी। क्रांतिकारी खुदिराम बोस की पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्वक नमन।

इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ का उल्लेख करते हुए कहा, हाल ही में एक हिंदी फिल्म में खुदीराम बोस को ‘सिंह’ बताया गया है। जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए प्राण दिए, उनका अपमान क्यों? भाषा-संस्कृति पर हमला करने वाले क्या अब खुदीराम जैसे महान क्रांतिकारी को भी खींचतान में लाएंगे? हमारे मिदनापुर के इस अदम्य किशोर को पंजाब का बेटा दिखाया गया है। यह असहनीय है।

ममता बनर्जी ने याद दिलाया कि उनकी सरकार ने खुदीराम बोस के जन्म स्थान महाबनी और आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए ‘महाबनी डेवलपमेंट अथॉरिटी’’ का गठन किया है। यहां उनकी प्रतिमा की स्थापना, पुस्तकालय का नवीनीकरण, एक विशाल सभागार और सम्मेलन कक्ष का निर्माण, मुक्तमंच का निर्माण, पर्यटकों के लिए आधुनिक कुटीर, ऐतिहासिक खुदिराम पार्क का पुनरोद्धार और पूरे इलाके को रोशनी से सजाने जैसे कार्य किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ मिदनापुर ही नहीं, कोलकाता में भी एक मेट्रो स्टेशन का नाम हमने उनके (खुदीराम बोस) नाम पर रखा है। हम गर्वित हैं कि हमने इस महान क्रांतिकारी को हर संभव सम्मान दिया है।

उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त 1908 को सुबह 3:50 बजे खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी। खुदीराम बोस एक भारतीय युवा क्रांतिकारी थे, जिनकी शहादत ने संपूर्ण देश में क्रांति की लहर पैदा कर दी थी। बलिदानी वीर खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल में मिदनापुर ज़िले के हबीबपुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम त्रैलोक्य नाथ बोस और माता का नाम लक्ष्मीप्रिय देवी था। बालक खुदीराम के सिर से माता-पिता का साया बहुत जल्दी ही उठ गया था। इसलिए उनका लालन-पालन उनकी बड़ी बहन ने किया। उनके मन में देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल थी कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था।

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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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