Jharkhand

भगवान वेंकटेश का उद्यास्तमन सेवा सहित हुआ महाभिषेक

भगवान वेंकटेश के मंदिर में उपस्थित श्रद्धालु

रांची, 9 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में शनिवार को स्नान- दान की पूर्णिमा, श्रवण नक्षत्र और उपाकर्म (श्रावणी कर्म) वेद एवं पांचरात्र के विधान से संपन्न कराया गया।

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में भगवान वेंकटेश के दिव्य विग्रह का विश्वरूप दर्शन हुआ। फिर सुप्रभातम्, वेंकटेश करावलम्ब और मंगलाशासन के बाद षोडषोपचार पूजा – तिरूवाराधन करके दूध,दहि, शहद ,नारियल जल और गंगा और गंडकी के पवित्र जल से महाभिषेक कराया गया। इस क्रम के मध्य भगवान् के सभी विग्रहों में हरिद्राचूर्ण और चंदन का उबटन करके पुनः शंखधारा,चक्रघारा, कलशधारा और सहस्त्रधारा के उपचार पूर्वक मंत्रोच्चार करते हुये महाभिषेक हुआ। महालक्ष्मीजी को श्रीभगवान हृदय में धारण करते हैं। दयामयी श्रीमहालक्ष्मीजी सहित श्रीभगवान की कृपा दृष्टि जब जीव पर पड़ती है तब उस कृपादृष्टि के प्रभाव से जीव भगवान के चरणों की शरण में चला जाता है।

उन्ही भगवान् का हर प्रकार से पूजोपचार संपादन कर सर्वाभरण भूषिता श्रीश्रीदेवीजी, सर्वसहा श्रीभूमिदेवीजी और अनुपमेय लोकेश भगवान श्रीनिवास को रेशमी वस्त्रों एवं सद्भूषणों से सुसज्जित करके नक्षत्र, कुंभ तथा कपूर से महाआरती की गयी। फिर दिव्य निज निकुंज भगवान को पायसान्न -खीर ,खिचड़ी,फल और मेवे का बालभोग निवेदन हुआ। इसके बाद शातुमोरा,पल्लाण्डु,उपनिषद और सुश्राव्य वेदध्वनियों से महास्तुति की गयी। इसके बाद उपाकर्म को अक्षतारोपण कर संप्रोक्षण किया और धूप,दीप ,कुंकुम,हल्दी चूर्ण,चंदन यज्ञोपवीत (जनेउ) के सुमेरु में लेपन करके पंचोपचार पूजन किया फिर भगवान और सभी पार्षदों के विग्रह में धारण कराया और अर्चक और उपस्थित यजमान को भी प्रसाद स्वरूप पूजित जनेउ धारण करने को मिला।

उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान महावीर प्रसाद पत्नी निर्मला नरसरिया, जबकि पायसान्न- खीर महाप्रसाद निवेदन विकास शर्मा पत्नी रुचिता शर्मा ने किया। अर्चक गोपेश आचार्य और नारायण दास ने मिलकर दिनभर के महानुष्ठान को विधिवत संपन्न कराया।

इस अवसर पर राम अवतार नरसरिया, प्रदीप नरसरिया, राजेश सुल्तानिया, रंजन सिंह, प्रभास मित्तल, ओमप्रकाश गाड़ोदिया सहित भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान के दरबार में पूजा अर्चना कराया और जय- जयकार की ध्वनि करते हुए प्रदक्षिणा और दंडवत प्रणाम किया।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak

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