
नई दिल्ली, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने और आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम के लिए गठित राष्ट्रीय टास्कफोर्स ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित कौशल भवन में अपनी आधिकारिक वेबसाइट ntf.education.gov.in लॉन्च की। यह वेबसाइट छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम नागरिकों से सुझाव प्राप्त करने तथा डेटा एकत्रित करने का एक समर्पित मंच है।
यह टास्कफोर्स सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित की गई है और इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस. रवींद्र भट कर रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह टास्कफोर्स पहले की किसी समिति या टास्कफोर्स से अलग है क्योंकि यह केवल किसी एक संस्थान या श्रेणी तक सीमित न होकर, देश के सभी प्रकार के उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने दायरे में लाती है।
उन्होंने कहा कि टास्कफोर्स विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमियों से विशेषज्ञों को एक साथ लाकर इस चुनौतीपूर्ण विषय पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि देश भर में फैले 52,000 से अधिक संस्थानों तक पहुंच पाना आसान नहीं है, इसलिए वेबसाइट के माध्यम से देशभर से प्रतिक्रिया और अनुभव जुटाए जाएंगे।
भट ने स्पष्ट किया कि वेबसाइट पर प्राप्त सभी जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी और सुरक्षित सर्वर पर संग्रहित की जाएगी। वेबसाइट पर छात्रों, अभिभावकों, फैकल्टी, मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और संस्थानों के लिए अलग-अलग सर्वे हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ता इन्हें अपनी सुविधा के अनुसार एक बार में या चरणबद्ध रूप से भर सकते हैं।
वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर, छात्र सहायता संसाधन, शिकायत निवारण प्रक्रियाएं और संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी साझा की जा रही है। टास्कफोर्स का उद्देश्य है कि सभी पक्षों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर एक समग्र रिपोर्ट तैयार कर सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी जाए, ताकि नीतिगत बदलाव लाए जा सकें।
उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ विनीत जोशी, जो टास्कफोर्स के पदेन सदस्य और सदस्य सचिव भी हैं, ने कहा कि मंत्रालय टास्कफोर्स को हर संभव सहयोग दे रहा है — चाहे वह डेटा साझा करना हो, नीति सुझाव देना हो या संस्थानों से संपर्क साधना हो। उन्होंने बताया कि यह एक समावेशी पहल है जिसमें देशभर के केंद्रीय, राज्य, निजी और तकनीकी संस्थानों को शामिल किया गया है।
जोशी ने इस अवसर पर कहा कि यह वेबसाइट सभी हितधारकों की भागीदारी से एक राष्ट्रीय संवाद का माध्यम बनेगी। उन्होंने बताया कि एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की, जो कुल आत्महत्याओं का 7.6 प्रतिशत है। यह संख्या किसानों और बेरोज़गारों से भी अधिक है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मार्च 2025 को अपने आदेश में विश्वविद्यालयों और व्यावसायिक कॉलेजों में आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और इस टास्कफोर्स के गठन का निर्देश दिया था। टास्कफोर्स को सितंबर के अंत तक अंतरिम रिपोर्ट और वर्ष के अंत तक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
टास्कफोर्स में समाजशास्त्र, लैंगिक अध्ययन, दिव्यांगता अधिकार, नैदानिक मनोविज्ञान, सामुदायिक चिकित्सा जैसे विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह विविधता इसे देश के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को समग्र दृष्टिकोण से समझने और समाधान प्रस्तुत करने में सक्षम बनाती है।
टास्कफोर्स द्वारा लॉन्च की गई वेबसाइट पर छात्रों, अभिभावकों, संकाय सदस्यों, मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, संस्थानों के प्रमुखों और आम नागरिकों के लिए अलग-अलग सर्वेक्षण उपलब्ध कराए गए हैं। ये सर्वेक्षण हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में हैं और पूरी तरह गोपनीय एवं अज्ञात रूप में संचालित किए जा रहे हैं। सर्वेक्षणों में जिन विषयों पर जानकारी मांगी गई है, उनमें कैंपस का वातावरण, समावेशिता और अपनापन, तनाव के स्रोत और प्रणालीगत भेदभाव, मौजूदा सहायता प्रणाली और शिकायत निवारण तंत्र, छात्रों के कल्याण के लिए सुझाव शामिल हैं।
इसके अलावा, संस्थानों के प्रमुखों के लिए एक विशेष संस्थागत सर्वेक्षण भी उपलब्ध कराया गया है, जिसमें आत्महत्या की घटनाओं, निवारक उपायों और छात्र सहायता अवसंरचना से संबंधित जानकारी साझा करने को कहा गया है।
टास्कफोर्स देशभर के संस्थानों का दौरा कर रही है, जहां छात्रों, संकाय और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और सेवाओं की समीक्षा भी की जा रही है। साथ ही, विषय विशेषज्ञों, सामाजिक संगठनों और नीति निर्माताओं के साथ भी परामर्श किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति भट और डॉ. जोशी सहित टास्कफोर्स के अन्य सदस्यों ने लोगों से अपील की है कि वे इस पहल की जानकारी व्यापक रूप से प्रसारित करें ताकि अधिक से अधिक छात्र, अभिभावक और शिक्षक इस प्रयास में भागीदार बन सकें और एक सुरक्षित, समावेशी और सहयोगी शिक्षा वातावरण तैयार करने की दिशा में मिलकर काम किया जा सके। इच्छुक लोग वेबसाइट ntf.education.gov.in पर जाकर सर्वे में भाग ले सकते हैं और आत्महत्या की रोकथाम तथा मानसिक स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण के लिए अपने सुझाव साझा कर सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
