
जयपुर, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट में जल जीवन मिशन घोटाले से जुडे ईडी प्रकरण में आरोपी पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने यह आदेश महेश जोशी की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर दिए।
जमानत याचिका में अधिवक्ता स्नेहदीप ने अदालत को बताया कि प्रकरण में उसे फंसाया गया है। प्रकरण को लेकर एसीबी में दर्ज मूल केस में याचिकाकर्ता का नाम नहीं है। याचिकाकर्ता को एक साल पहले नोटिस दिया गया। इसके बाद बिना कोई परिस्थिति बदले उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा ईडी याचिकाकर्ता पर 2.01 करोड़ रुपए का आरोप लगा रही है, जबकि इसे लेकर ईडी के पास कोई साक्ष्य नहीं है और परिवादी यह राशि कहां से लाया, उसका भी उल्लेख नहीं है। इसके अलावा ईडी ने अपनी रिपोर्ट में बेटे की फर्म में 50 लाख रुपए का लेनदेन बता रही है। यह राशि बेटे की कंपनी ने लोन के तौर पर ली थी और उसे लौटाया भी जा चुका है। वहीं इस राशि को लेकर सिविल केस भी लंबित चल रही है। ऐसे में उसे जमानत का लाभ दिया जाए। जिसका विरोध करते हुए ईडी की ओर से अधिवक्ता अक्षय भारद्वाज ने कहा कि प्रकरण में एसीबी की ओर से दर्ज अन्य एफआईआर में याचिकाकर्ता की भूमिका को बताया गया है। वहीं याचिकाकर्ता के बेटे की फर्म में 50 लाख रुपए का लेनदेन किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से इस राशि को लौटाना भी बताया जा रहा है तो राशि लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती है। याचिकाकर्ता और उसके बेटे ने विभाग की टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत प्राप्त की है। इसके अलावा धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के तहत आरोपी को उस समय ही जमानत दी जा सकती है, जब अदालत इस बात से प्रथम दृष्टया इस बात से संतुष्ट हो जाए कि वह इस अपराध का दोषी नहीं है। यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए उसकी जमानत याचिका को खारिज किया जाए।
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(Udaipur Kiran)
