नैनीताल, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्च न्यायालय ने मुर्गा, मछली, बकरे के मीट के लिए स्लाटर हाउस में ही काटे जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद इस प्रकार की एक अन्य याचिका के साथ सलंग्न करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी मोनिका मोसेस ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि दून घाटी में अनधिकृत पशु वध पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाए। याचिकाकर्ता ने उचित पशु चिकित्सा प्रमाण पत्र के साथ ही पशुओं का परिवहन सुनिश्चित करने, सभी अवैध वध की दुकानों को बंद करना, आधुनिक स्वच्छ वधशालाओं की स्थापना करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के प्रावधानों और वध के संबंध में इसके तहत बनाए गए नियमों का अनुपालन कराने के निर्देश सरकार को दिए जाए। उत्तराखंड राज्य में पशुओं के परिवहन की सीमा और साथ ही न्यायालय के आदेशों का अनुपालन भी सुनिश्चित होना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि देहरादून शहर में जीवित पशुओं और अनियमित मांस मछली के प्रवेश पर तब तक रोक लगाई जाए, जब तक कि प्रासंगिक पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित न हो जाए। राज्य पशु कल्याण बोर्ड और नगर निगम अधिकारियों को कानून के अनुसार सभी वध इकाइयों का निरीक्षण किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि डीएम देहरादून व एसएसपी देहरादून को दून घाटी में मुर्गी और बकरी सहित पशुओं के अवैध वध और परिवहन को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का आदेश जारी किए जाने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 3 मार्च 2025 को सचिव शहरी विकास उत्तराखंड शासन देहरादून को प्रत्यावेदन दिया गया जिसमें कहा गया कि जनपद देहरादून में अवैध रूप से संचालित बूचड़खानों व उच्च न्यायालय में विभिन्न जनहित याचिकाओं में पारित आदेशों का पालन नहीं कराया गया है। याचिका में कहा बूचड़खानों में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे देहरादून शहर व उसके आसपास काफी गन्दगी फैली हुई है और बीमारी फैलने की सम्भावना है। याचिका में कहा कि उच्च न्यायालय ने पूर्व में दिए निर्देशों में कहा था कि किसी दुकान, गली या खुले पर किसी भी पशु को नहीं काटा जाएगा लेकिन देहरादून की हर गली में पशु काटे जा रहे हैं और इसके बचे अपशिष्ट खुले में फैंके जा रहे हैं। अवैध रूप से आ रहे जीवित पशुओंं, मुर्गे व बकरों से भरी लोडिंग गाड़ियों को रोकने की मांग की थी।
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लता नेगी —————
(Udaipur Kiran) / लता
