
नई दिल्ली, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । माल ढुलाई को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल (डीडीयू मंडल) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। डीडीयू मंडल के गंजख्वाजा स्टेशन से गुरुवार को भारतीय रेल की अब तक की सबसे लंबी मालगाड़ी ‘रूद्रास्त्र’ का सफलतापूर्वक चलाया गया। करीब साढ़े चार किलोमीटर लंबी इस विशेष मालगाड़ी में छह खाली बॉक्सन रेक को आपस में जोड़कर कुल 354 वैगन तैयार किए गए, जिसे सात शक्तिशाली इंजनों की सहायता से चलाया गया। ‘रूद्रास्त्र’ ने औसतन 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पांच घंटे में 200 किलोमीटर की दूरी तय की। यह गंजख्वाजा स्टेशन से चलकर गढ़वा रोड स्टेशन तक पहुंची।
इस ऐतिहासिक परिचालन में गंजख्वाजा से सोननगर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर और आगे गढ़वा रोड तक भारतीय रेल के सामान्य ट्रैक पर इस सुपर-लंबी ट्रेन का संचालन किया गया। यह प्रयोग न केवल एक तकनीकी नवाचार है बल्कि सुव्यवस्थित संचालन, उत्कृष्ट समन्वय और समय की बचत का एक आदर्श उदाहरण भी है।
डीडीयू मंडल के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेल के सबसे व्यस्त और रणनीतिक मंडलों में से एक है, जो धनबाद मंडल को कोयला और अन्य माल लदान के लिए समय से खाली वैगनों की आपूर्ति करता है। यहां मालगाड़ियों के डिब्बों की जांच व मरम्मत का कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है।
डीडीयू मंडल की इस अभिनव पहल से एक साथ कई रेक चलाकर जहां चालक दल और संसाधनों की बचत हुई, वहीं ट्रैफिक कंजेशन में भी कमी आएगी। अलग-अलग छह रेक को चलाने की तुलना में एकीकृत ‘रूद्रास्त्र’ से रेल नेटवर्क पर दबाव घटेगा, और अन्य ट्रेनों के संचालन के लिए मार्ग भी उपलब्ध होंगे।
डीडीयू मंडल के अधिकारियों ने बताया कि ‘रूद्रास्त्र’ जैसी पहल से माल ढुलाई में दक्षता, गति और क्षमता तीनों में सुधार होगा, जिससे रेलवे की राजस्व वृद्धि और ग्राहकों को बेहतर सेवा सुनिश्चित होगी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि डीडीयू मंडल भारतीय रेल की नई सोच, तकनीकी नवाचार और बेहतर प्रबंधन का नेतृत्व कर रहा है।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
