
मंडी, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । आर्य समाज की स्थापना के डेढ़ सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आर्य समाज मंदिर में आयोजित किए जा रहे श्रावणी महोत्सव एवं वेद सप्ताह में वेद ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है। देश की आज़ादी में अपने आपमें एक आंदोलन का स्वरूप रहे आर्य समाज सनातन वैदिक धर्म की पताका निरंतर फहराते हुए समाज सुधार की दिशा में निरंतर अग्रसर है।
शुक्रवार को श्रावणी पर्व के अवसर पर चतुर्वेद शतकम यज्ञ का प्रारंभ वेद व गायत्री मंत्र के साथ हुआ जिसमें उपस्थित यजमानों द्वारा आहूति डाली गई। वहीं इस अवसर पर भजनोपदेशक कुलदीप भास्कर ने अपने भजनों से वातावरण काे र्भक्तिमय बनाए रखा। इस अवसर पर वेद ज्ञान पर प्रवचन देते हुए आचार्य रणवीर शास्त्री ने कहा कि स्वाध्याय से मनुष्य स्वयं को साधता है, वेदों के ज्ञान के लिए भी हमें अध्ययन की आवयश्क्ता है।
उन्होंने कहा कि गंगा, यमुना और सरस्वती तीन पावन नदियां है। सरस्वती विद्या की देवी है, लेकिन जब कोई विद्वान अपने प्रवचनों से हमे प्रभावित करता है, तो हम कहते हैं कि उसके मुखारविंद से ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती है। उन्होंने कहा कि शिव की जटाओं से गंगा निकलती है। जिसका अर्थ ये हुआ कि जहां शिव की जटाएं हैं वहीं मस्तिष्क भी है, मनुष्य के मस्तिष्क से ही ज्ञान की गंगा प्रवाहित होता है। उन्होंने कहा कि विद्या मनुष्य काे विनम्र बनाती है, उग्रता को समाप्त कर शांति प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने शत्रु को समाप्त करने के बजाय उसे अपने पक्ष में खड़ा करना है। इसके लिए हमें अपने आत्मबल और विनम्रता का सहारा लेना होगा।
उन्होंने महात्मा बुद्ध और स्वामी दयानंद सरस्वती का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भयमुक्त होकर अपने शत्रुओं के हृदय को परिवर्तित किया था। इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर कमेटी के प्रधान अरूण कुमार कोहली ने बताया कि श्रावणी पर्व आगामी दस अगस्त तक जारी रहेगा। दस अगस्त को सुबह नौ बजे से दोपहर बारह बजे तक यज्ञ, पूर्णहूति, आशीर्वाद, प्रसाद वितरण , भजन, प्रवचन होंगे। इसके उपरांत ऋृषि लंगर का आयोजन किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
