Uttrakhand

नव प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन व वेदारंभ संस्कार

उपनयन संस्कार के दौरान

हरिद्वार, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । आज अमृत वाटिका परिसर में स्थित यज्ञशाला में नव प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन (यज्ञोपवीत) एवं वेदारम्भ संस्कार वैदिक विधि द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुआ। वृहद् यज्ञ के ब्रह्मा डॉ. योगेश शास्त्री रहे।

उन्होंने ब्रह्मचारियों को ऐतरेय उपनिषद के अनुसार आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए अपने जीवन को आचार्यो के संरक्षण में श्रेष्ठ बनाने हेतु प्रेरणा देकर यज्ञ में आहुतियां प्रदान कराते हुए यज्ञोपवीत धारण कराकर वेदारम्भ संस्कार के महत्व को बताया। इस अवसर पर गुरुकुल के मुख्याध्ष्ठिता डॉ. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि ब्रह्मचारियों को जीवन में उच्चता के साथ-साथ श्रेष्ठ जीवन भी बनाना चाहिए। परिश्रम ही जीवन को श्रेष्ठ बनाता है जो मानव जीवन का मुख्य बिन्दु है। आचार्य ब्रह्मचारियां को दिशा प्रदान करता है।

नगर निगम की मेयर किरण जैसल ने अभिभावकों को श्रावणी उपाकर्म पर्व की बधाई दी। कहा कि अपने-अपने बच्चों को गुरुकुल में भेजकर श्रेष्ठ कार्य किया है। गुरुकुल ही हमारी प्राचीन पद्धति है। माता-पिता बालक के जीवन को उत्तम बनाने के लिए श्रेष्ठ आचार्यो के संरक्षण में भेजता है।

रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि हमारी प्राचीन परम्परा ही हमें इतिहास से परिचित कराती है। आज गुरुकुल में नव प्रविष्ट छात्रों का उपनयन संस्कार देखकर मन अत्यन्त प्रसन्न हो गया। छात्रों ने अपने कार्यक्रमों से मन मोह लिया। उन्होने छात्रों को वेदानुकूल आचरण करने की प्रेरणा प्रदान की।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रभात कुमार ने कहा कि मुझे इसी गुरुकुल में कक्षा प्रथम से पढने का अवसर प्राप्त हुआ है। यहंा पर सभी छात्रा एक दूसरे को परम्परागत प्राचीन काल से ही भाई जी कहते आ रहे हैं। गुरुकुल एक परिवार है। उन्हांेने इस अवसर पर कहा की गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने पर पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।

पार्षद नागेन्द्र राणा ने भीर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रधनाचार्य डॉ. विजेन्द्र शास्त्री ने अथर्ववेद के ब्रह्मचर्य सूक्त के महत्व को बताते हुए उपनयन और वेदारम्भ के महत्व को समझाया तथा सभी आगन्तुक अभिभावकों एवं अतिथियों का स्वागत एवं अभिवादन किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्कृत में वेदपाठ कुनाल, स्वप्निल ने किया। संगीत के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम धर्मेन्द्र आर्य के द्वारा सम्पन्न कराया गया। संस्कृत गीत तरुण, मयंक, कार्तिक, रोहित नकुल, युवराज, अनन्त, कृष्णा, आलोक, मुदित, उदित, निशांत ने प्रस्तुत किया। तथा छोटे बच्चों की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।

संचालन डॉ. योगेश शास्त्री ने किया तथा रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व पर अपने विचार प्रकट किया। इस अवसर पर गुरुकुल के सभी शिक्षक, आश्रमाध्यक्ष, अधिष्ठाता एवं सभी विभागों के शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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