Jammu & Kashmir

बसोहली में 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया

11th National Handloom Day was celebrated with great zeal and enthusiasm in Basohli

कठुआ/बसोहली 07 अगस्त (Udaipur Kiran) । सहायक निदेशक हस्तशिल्प एवं हथकरघा कठुआ कार्यालय ने गुरूवार को टीआरसी भवन बसोहली में 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025 बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया।

यह कार्यक्रम उन कुशल कारीगरों और बुनकरों के प्रति एक भव्य श्रद्धांजलि थी, जो अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला के माध्यम से इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बसोहली विधायक दर्शन सिंह उपस्थित रहे, जिन्होंने क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में स्थानीय कारीगरों और बुनकरों के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना, नाटक और जवाहर नवोदय विद्यालय बसोहली के छात्रों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उत्सवी माहौल को और भी समृद्ध बना दिया। कार्यक्रम के दौरान विधायक ने स्थानीय कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्पकला को प्रदर्शित करने वाले स्टॉलों का अवलोकन किया, जिनमें बसोहली पश्मीना और बसोहली पेंटिंग मुख्य आकर्षण रहे। कठुआ की सहायक निदेशक हस्तशिल्प एवं हथकरघा डॉ. रोहिणी और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और क्षेत्र की समृद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित किया। मुख्य अतिथि ने पारंपरिक शिल्पों के संरक्षण और संवर्धन में उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए, समितियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए।

गौरतलब हो कि हथकरघा उद्योग भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हैं। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1905 में हुए स्वदेशी आंदोलन ने हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने और खादी वस्त्रों के उपयोग को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान में हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के योगदान के सम्मान में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पहली बार 2015 में चेन्नई, तमिलनाडु में मनाया गया था। बसोहली पश्मीना और बसोहली पेंटिंग इस क्षेत्र के दो उल्लेखनीय उत्पाद हैं जिन्हें 2023 में प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त हुआ है। जीआई टैग इन उत्पादों की अनूठी सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को मान्यता देता है, जिससे उनकी प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। बसोहली पेंटिंग अपनी लघु कला शैली के लिए प्रसिद्ध, जटिल और विस्तृत कार्य, गहरे और जीवंत रंगों और हिंदू पौराणिक कथाओं के चित्रण की विशेषता है। इसी प्रकरा बसोहली पश्मीना चंगथांगी बकरी के महीन बालों से बना एक शानदार ऊनी कपड़ा, जो अपनी असाधारण गुणवत्ता और गर्माहट के लिए जाना जाता है।

(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया

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