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भारत व पाकिस्तान की सांस्कृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा है कव्वाली: डॉ. मो. वसी बेग

कव्वाली भारत और पाकिस्तान दोनों की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा है: डॉ. मोहम्मद वसी बेग

हरदोई, 7 अगस्त (Udaipur Kiran) । ऑल इंडिया काउंसिल फॉर प्रोडक्टिव एजुकेशन, रिसर्च और ट्रेनिंग (एआईसीपीईआरटी) के चेयरमैन डॉ मोहम्मद वसी बेग ने कहा कि कव्वाली भारत और पाकिस्तान दोनों की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा है। जिसका सदियों पुराना इतिहास है। कव्वाली की समावेशी प्रकृति ने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा दिया है।

एआईसीपीईआरटी के चेयरमैन डॉ बेग ने गुरुवार को (Udaipur Kiran) को बताया कि कव्वाली सूफी भक्ति संगीत की एक विधा कव्वाली सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह ईश्वर के प्रति प्रेम व्यक्त करने, आध्यात्मिक अनुभवों को बढ़ावा देने और विविध समुदायों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम है। इसका समृद्ध इतिहास, जटिल संगीत संरचनाएं और काव्यात्मक बोल इसके स्थायी आकर्षण और प्रभाव में योगदान करते हैं। उन्होंने बताया कि कव्वाली भारत और पाकिस्तान दोनों की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा है, जिसका इतिहास सदियों पुराना है।

यह एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करती है, जो साझा आध्यात्मिक अनुभवों और संगीत की प्रशंसा के माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाती है। कव्वाली की समावेशी प्रकृति ने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा दिया है।

बेग ने बताया कि हारमोनियम, तबला, ढोलक और सारंगी कव्वाली प्रदर्शनों में प्रयुक्त होने वाले सामान्य वाद्ययंत्र हैं। लय और राग का जटिल अंतर्संबंध एक मनोरम और भावनात्मक रूप से गूंजने वाला अनुभव निर्मित करता है। कव्वालों की भावुक और भावपूर्ण गायन शैली संगीत के प्रभाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कव्वाली आध्यात्मिक भक्ति, कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक विरासत का एक सशक्त मिश्रण है, जो कलाकारों और श्रोताओं दोनों के लिए एक अनूठा और समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

(Udaipur Kiran) / अंबरीश कुमार सक्सेना

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