
नई दिल्ली, 7 अगस्त (Udaipur Kiran) । नगर निगम में स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने गुरुवार को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हथकरघा न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की भावना का भी सशक्त आधार है।
सत्या शर्मा ने आज ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ पर एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि हथकरघा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। आजादी के बाद भी हथकरघा अपनी सांस्कृतिक और आर्थिक भूमिका निभाता आ रहा है। ये सिर्फ कपड़ा नहीं बुनता, ये एक लोककला है, एक विरासत है, एक रोजगार है। जिससे लाखों बुनकरों और कारीगरों का जीवन जुड़ा है।
शर्मा ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया फास्ट फैशन की दौड़ में लगी है, तब भारत के हथकरघा उत्पाद खादी, बनारसी, चंदेरी, इकत, कांथा, पटोला एवं विविधताओं के साथ केवल टिकाऊ हैं जो भारतीयों की पहचान भी है।
सत्या शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बुनकरों को न केवल सम्मान दिया है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार से जोड़ने के लिए ठोस रणनीति पर काम भी किया है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम सभी मिलकर इस परंपरा को आधुनिक रंग दें और कला के ताने को तकनीक के बाने से जोड़ें।
उन्होंने कहा कि जब हम खादी या हैंडलूम पहनते हैं, तो सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को अपने तन पर धारण करते हैं। यह एक अनुभव है गर्व, संस्कृति और देशभक्ति का।
शर्मा ने कहा कि सभी को वोकल फॉर लोकल को बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए। ताकि भारत आत्मनिर्भर बन सकें।
—————
(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
