Delhi

सफेद चूरन से बनी जीवन रक्षक दवाएं बेच रहे थे, छह गिरफ्तार

पुलिस का लोगो

नई दिल्ली, 6 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी गैंग स्क्वॉड (एजीएस) ने जीवन रक्षक दवाओं की आड़ में सफेद चूरन से बनी नकली टैबलेट और कैप्सूल बेचने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के मुख्य सरगना राजेश मिश्रा समेत 6 आरोपिताें को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह पिछले 6 सालों से दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुरादाबाद, देवरिया, गोरखपुर (उप्र), पानीपत, जिंद (हरियाणा), बद्दी और सोलन (हिमाचल प्रदेश) मेडिकल स्टोर्स को नकली दवाएं सप्लाई कर रहा था।

क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट सीपी सुरेंद्र कुमार ने पुलिस मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर बताया कि 30 जुलाई को हेड कांस्टेबल जितेंद्र की सूचना पर सिविल लाइंस के एचपी सीएनजी पेट्रोल पंप पर छापा मारा गया। वहां मुरादाबाद, उप्र निवासी मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को कार के साथ नकली दवाओं की खेप ले जाते पकड़ा गया। जीएसके और जॉनसन एंड जॉनसन के विशेषज्ञों ने पैकेजिंग को नकली पाया। जांच में सामने आया है कि ये दवाएं सफेद बेस पाउडर (फिलर) से बनाई जाती थीं, जिसमें कोई सक्रिय दवा नहीं होती थी।

वैसे प्राथमिक फॉरेंसिक जांच में भी इस चूरन में कोई खतरनाक या जहरीला केमिकल नहीं पाया गया, लेकिन रोगियों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता था क्योंकि ये दवाएं इलाज में असरहीन था।

पुलिस टीम ने बद्दी (हिमाचल) और जींद (हरियाणा) की दो फैक्ट्रियों से 1.5 क्विंटल से अधिक सफेद पाउडर और 20 किलो कैप्सूल, भारी मात्रा में फर्जी पैकिंग मटेरियल, मशीनें और 10 अधिक ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर छपे बॉक्स जब्त किए गए।इन ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाएं बरामद अलट्रासेट (जॉनसन एंड जॉनसन), ऑगमेटाइन 625 (जीएसके), पैन 40 (अलकेम), बेटनोवेट एन, एमॉक्सीलीन, पीसीएम, प्रोयको स्पैस, कानाकोर्ट इंजेक्शन इस प्रकार फैला था गिरोह का नेटवर्क मुख्य सरगना राजेश मिश्रा फार्मा इंडस्ट्री में अनुभव के आधार पर नकली उत्पादन का संचालन करता था।

परमानंद के फार्मा यूनिट में गोलियां बनाई जाती थीं और प्रेम शंकर जैसे वितरक इन्हें झोला छाप डॉक्टरों तक पहुंचाने के साथ सोशल मीडिया के जरिए ग्राहक खाेजते थे। मो. आलम और सलीम के जरिए दिल्ली-एनसीआर में दवाओं की डिलीवरी होती थी। गिरोह एन्क्रिप्टेड ऐप्स और फर्जी खातों के जरिए लेन-देन करता था। पुलिस का कहना है कि नकली दवाएं लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है और इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए जांच जारी है।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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