
कानपुर, 04 अगस्त (Udaipur Kiran) । डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया जैसी सीखने में कठिनाइयों की पहचान और उनका समय पर समाधान करना हर बच्चे को समान सीखने का मौका देने के लिए बहुत जरूरी है। ये कार्यशालाएं शिक्षकों को संवेदनशील बनाने और उन्हें सही मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और उपकरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम एक संस्था के रूप में ऐसे प्रयासों का समर्थन करते हैं जो अनुसंधान और व्यवहार को जोड़कर सामाजिक समानता की सेवा करते हैं। यह बातें सोमवार को मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग प्रो. ब्रज भूषण ने कही।
कानपुर प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) और क्यूट ब्रेन्स ने शिक्षकों के लिए डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया पर समावेशी शिक्षा और बाल विकास को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत, संस्थान ने अपने स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर के माध्यम से क्यूट ब्रेन्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर दो जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कीं। इन कार्यशालाओं का मकसद शिक्षकों को सीखने में कठिनाइयों जैसे डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से जूझ रहे बच्चों की मदद के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरण प्रदान करना था।
पहली कार्यशाला आईआईटी कानपुर आउटरीच सेंटर, नोएडा में आयोजित की गई। जिसमें दिल्ली एनसीआर और बुलंदशहर के 30 शिक्षक शामिल हुए, जो सरकारी और निजी स्कूलों से आए थे। इस सत्र में शिक्षकों को सीखने में कठिनाइयों के प्रारम्भिक संकेतों को पहचानने और गैर-चिकित्सीय आंकलन के महत्व को समझने पर ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि वे समावेशी कक्षा में छात्रों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
दूसरी कार्यशाला भदोही के ज्ञानदेवी बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित की गई। यह एक कार्यशाला और जागरूकता कार्यक्रम था, जिसमें शिक्षकों को समावेशी शिक्षण विधियों से परिचित कराया गया और सीखने में कठिनाइयों से जूझ रहे छात्रों के लिए जल्द हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
ये कार्यशालाएं डाना फाउंडेशन की सीएसआर फंडिंग के माध्यम से आयोजित की गईं और क्यूट ब्रेन्स और आईआईटी कानपुर के एसआईआईसी के बीच चल रही साझेदारी को दर्शाती हैं। क्यूट ब्रेन्स, जो एसआईआईसी में इनक्यूबेटेड है, सीखने में कठिनाइयों को तकनीकी दृष्टिकोण से सम्बोधित करता है। उनके प्रोग्राम्स माता-पिता और शिक्षकों को जागरूक करते हैं, स्कूलों में गैर-चिकित्सीय आंकलन करते हैं और डिस्लेक्सिया तथा डिस्ग्राफिया वाले बच्चों के लिए एसिस्टिव एप्लिकेशन के जरिए व्यक्तिगत सहायता प्रदान करते हैं।
इन कार्यशालाओं के माध्यम से आईआईटी कानपुर और क्यूट ब्रेन्स समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को वैज्ञानिक तरीकों और रणनीतियों से लैस करने के अपने लक्ष्य को दोहराते हैं। जागरूकता, जल्दी हस्तक्षेप और सहानुभूतिपूर्ण शिक्षण से एक ऐसा वातावरण बनाने की दिशा में यह पहल है, जहाँ हर बच्चा अपनी विशेष जरूरतों के बावजूद सफलता प्राप्त कर सके।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
