Madhya Pradesh

मप्र विधानसभा में उठा वन अधिकार पट्टों का मुद्दा, सरकार बोली- भाजपा कार्यकाल में आदिवासियों को सबसे ज्यादा पट्‌टे बांटे

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्‍व में विपक्ष ने उठाया वन अधिकार पट्टों का मुद्दा

– मंत्री विजयवर्गीय और पटेल ने पेश किए तीन विधेयक

भोपाल, 4 अगस्‍त (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के छठवें दिन सोमवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश में साढ़े तीन लाख वन अधिकार पट्टे निरस्त करने का मामला उठाया। कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि आदिवासियों की जमीनें जबरन छीनीं जा रही हैं। कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही आदिवासियों को सबसे ज्यादा 26,500 वन अधिकार पट्‌टे बांटे गए। उन्‍होंने कहा कि बारिश में किसी भी आदिवासी को नहीं हटाया जाएगा।

विपक्ष द्वारा उठाए गए वन अधिकार पट्टों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सदन में कहा कि आदिवासियों के उत्कर्ष के लिए सरकार सबकी बात सुनने को तैयार है। विपक्ष भी इस मामले में अपने सुझाव दे सकता है। उन्‍होंने कहा कि कई गांव ऐसे हैं जहां आदिवासियों के अलावा दूसरी जाति के लोग भी रहते हैं। इसलिए ऐसे मामले में भी कुछ फैसला लिया जाएगा। सदन में जन जातीय कार्य मंत्री विजय शाह भी मौजूद रहे। उन्होंने ध्यान आकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि सैटेलाइट इमेज के जरिए दिसंबर 2005 की स्थिति की जानकारी लेकर वन अधिकारी पट्टों के मामले में निर्णय किया जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था के माध्यम से 2005 की स्थिति में किसका कब्जा था यह भी साफ हो जाएगा और पट्टों को वितरण की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी।

वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि तीन स्तर की समितियों के द्वारा आए हुए दावों की जांच की जाती है। जो यह तय करती है कि जो दावे आए हैं वाह मान्य हैं या नहीं है। उमंग सिंघार भी 2018 में वन मंत्री थे, लेकिन एक भी वन अधिकार के पट्टे नहीं बांटे। पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि पेसा की लगातार मॉनिटरिंग होती है। राज्यपाल खुद इसकी मॉनिटरिंग करते हैं। ग्राम सभा ग्राम पंचायत की भी ग्राम सभा है। उसे वित्तीय अधिकार भी है, जिसके फैसले वह ले सकती है। पेसा एक्ट में जो भी और कमियां है, उस लगातार संशोधित किया जा रहा है।

इधर, झाबुआ विधायक विक्रांत भूरिया ने कहा कि कुपोषित बच्चों पर सरकार मात्र 8 रुपये प्रति बच्चा खर्च कर रही है। जबकि मंत्रियों के एक दिन के नाश्ते पर 19,000 के ड्राई फ्रूट मंगाए जाते हैं। यह आदिवासी और कुपोषित बच्चों के साथ भेदभाव है।

विधानसभा में आज संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन और विकास विधेयक पेश किया। इसके बाद श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कारखाना मध्य प्रदेश संशोधन विधेयक 2025 प्रस्तुत किया। साथ ही श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने मध्य प्रदेश दुकान तथा स्थापना संशोधन विधेयक भी पेश किया।

(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत

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