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आईआईटी दिल्ली का 56वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न, 2764 विद्यार्थियों को प्रदान की गईं डिग्रियां

आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने के बाद प्रसन्न मुद्रा में विद्यार्थी

नई दिल्ली, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने अपने 56वें दीक्षांत समारोह में 2764 विद्यार्थियों को डिग्रियां और डिप्लोमा प्रदान किए। इस अवसर पर ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। वह वर्तमान में नूरुल इस्लाम सेंटर फॉर हायर एजुकेशन (एनआईसीएचई), कन्याकुमारी की कुलपति हैं। डॉ. थॉमस ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आईआईटी दिल्ली को नवाचार, ज्ञान और राष्ट्र-निर्माण की कर्मभूमि बताया।

दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता आईआईटी दिल्ली के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन हरीश साल्वे ने की। इस वर्ष कुल 2764 विद्यार्थियों को डिग्रियां और डिप्लोमा प्रदान किए गए, जिनमें 530 पीएचडी उपाधि भी शामिल हैं, जो संस्थान के पीएचडी इतिहास में अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। इससे पहले यह आंकड़ा 481 था। इसके अलावा बीटेक: 1048, एमटेक: 488, एमबीए: 172, डुअल डिग्री: 124, अन्य स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम: 402 प्रमुख रुप से शामिल हैं।

समारोह में अंकित मंडल (बी.टेक, कंप्यूटर साइंस) को प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा जस्करण सिंह सोढ़ी (बी.टेक, मटेरियल साइंस) को डायरेक्टर गोल्ड मेडल, देवेंद्र कुमार (एम.टेक, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग) को डॉ. शंकर दयाल शर्मा गोल्ड मेडल तथा दो छात्रों श्रेयांश गुप्ता और सौमिली चक्रवर्ती को परफेक्ट 10 गोल्ड मेडल (सीजीपीए 10/10) प्रदान किया गया।

इस बार 735 छात्राएं दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनीं, जबकि 43 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी डिग्रियां प्रदान की गईं। जहां 20 वर्षीय चंदन गोदारा सबसे कम उम्र के बी.टेक. स्नातक रहे, वहीं 63 वर्षीय गोपाल कृष्ण तनेजा सबसे वरिष्ठ पीएचडी डिग्रीधारी बने।

मुख्य अतिथि डॉ. टेसी थॉमस ने छात्रों से कहा कि आपने न सिर्फ तकनीकी शिक्षा प्राप्त की है, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनने की भी दिशा में कदम बढ़ाया है। आने वाला युग एआई, क्वांटम टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल एनर्जी का होगा और भारत इन क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है। संस्थान जैसी संस्थाएं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रही हैं।

उन्होंने कहा कि आईआईटी की शिक्षा ने आपको न सिर्फ तकनीक सिखाई है, बल्कि मानवीय मूल्यों, करुणा और जिम्मेदारी का पाठ भी पढ़ाया है। आप सिर्फ इंजीनियर नहीं, समाज के ट्रस्टी भी हैं।

बोर्ड चेयरमैन हरीश साल्वे ने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें अपनी सफलता और विफलता के आधार पर खुद को आंकने के बजाय, “कौन-सी लड़ाइयां लड़ीं” यह देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल युग में सच और भ्रम के बीच अंतर समझना ही आज का असली कौशल है।

संस्थान के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी ने छात्रों को सत्यनिष्ठा, नवाचार और सहानुभूति की सीख के साथ समाज में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमने आपको स्किल, टूल्स और सोचने की स्वतंत्रता दी है। अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाएं और हमेशा सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करें।

इस वर्ष आईआईटी दिल्ली ने कई नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है जिनमें डिज़ाइन में बी.टेक., रसायन विज्ञान में बीएस, फोटोनिक्स में एमटेक और एमएस(रिसर्च) शामिल हैं। साथ ही, संस्थान ने सॉर्बोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) के साथ संयुक्त पीएचडी व मास्टर्स प्रोग्राम भी शुरू किए हैं।

दीक्षांत समारोह के दौरान डिस्टिंग्विश्ड एलुमनाई अवॉर्ड्स 2025 भी प्रदान किए गए, जिनमें शिक्षा, कॉर्पोरेट नेतृत्व, सार्वजनिक सेवा और उद्यमिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले आठ पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया।

इस दीक्षांत समारोह में पहली बार ऊर्जा इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, एआई और वीएलएकआई डिजाइन से जुड़े कोर्स के छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। संस्थान ने 2025 में डिज़ाइन में नया बी.टेक., रसायन विज्ञान में बीएस, फोटोनिक्स में एम.टेक और एमएस(आर) जैसे कोर्स भी शुरू किए हैं। साथ ही, सॉर्बोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) के साथ जॉइंट पीएचडी और मास्टर्स प्रोग्राम की भी शुरुआत हुई है। इस मौके पर डीएए वॉल का भी उद्घाटन हुआ, जो संस्थान के प्रख्यात पूर्व छात्रों को समर्पित एक स्मारक है।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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