Jammu & Kashmir

मुख्य सचिव ने श्रीनगर में जल परिवहन और झील संरक्षण उपायों की समीक्षा की

श्रीनगर, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । सतत शहरी परिवहन और पारिस्थितिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आज श्रीनगर में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) शुरू करने की प्रगति की समीक्षा और चल रहे झील संरक्षण प्रयासों का आकलन करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक की शुरुआत घाटी की प्रतिष्ठित झेलम नदी पर जल परिवहन को चालू करने के लिए उठाए गए कदमों की गहन समीक्षा के साथ हुई।आईडब्ल्यूएआई और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने बताया कि महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और महत्वपूर्ण तौर-तरीकों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है।

आयुक्त सचिव, आवास एवं शहरी विकास मनदीप कौर ने बताया कि 6 मार्च 2025 को आईडब्ल्यूएआई और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए जिससे जल परिवहन सुविधाओं के व्यवस्थित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उन्होंने बताया कि आईडब्ल्यूएआई का श्रीनगर कार्यालय अब पूरी तरह से कार्यरत है और इसके कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

उन्होंने आगे बताया कि झेलम नदी पर सात तैरते कंक्रीट जेटी के निर्माण का काम सौंपा गया है जिसके पूरा होने की अनुमानित समय-सीमा 15 जुलाई 2025 की आवंटन तिथि से पाँच महीने है। उन्होंने आगे बताया कि फेयरवे का रखरखाव पहले से ही चल रहा है और वुलर झील के ऊपर और नीचे एक-एक ड्रेजर तैनात किया गया है।

इसके अलावा यह भी बताया गया कि कोच्चि वाटर मेट्रो लिमिटेड द्वारा झेलम नदी पर शहरी जल परिवहन पर एक अध्ययन किया जा रहा है। संगम से शादीपोरा पुल तक का खंड भी पूरा हो चुका है। परिवहन विभाग ने हाइब्रिड इलेक्ट्रिक क्रूज़/बोट सेवाओं के लिए एक ऑपरेटर को नियुक्त करने हेतु एक मानक प्रस्ताव अनुरोध (आरएफपी) साझा किया है और इसके दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

डल और निगीन झील संरक्षण के संबंध में झील संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण (एलसीएमए) ने डल और निगीन झीलों के संरक्षण, प्रबंधन और विकास के लिए किए गए उपायों का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया। एलसीएमए के कुलपति शाहिद सलीम ने विस्तार से बताया कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के माध्यम से पहली बार झील की सीमा का सीमांकन पूरा हो गया है।

सीवरेज उपचार के संबंध में बैठक में बताया गया कि झीलों के आसपास वर्तमान में पाँच सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) कार्यरत हैं। उपचारित अपशिष्ट जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए अमृत 2 के तहत सभी मौजूदा एसटीपी का उन्नयन किया जा रहा है। झील के उत्तर-पूर्वी परिधि पर बचे हुए क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गुप्त गंगा में 30 एमएलडी क्षमता का एक नया एसटीपी बनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, झील में अनुपचारित अपशिष्ट जल को जाने से रोकने के लिए तेलबल क्षेत्र में 100 भूमि-आधारित बायो-डाइजेस्टर स्थापित किए गए हैं।

संरक्षण के दृष्टिकोण को विस्तार देते हुए बैठक में खुशालसर और गिलसर झीलों के लिए चल रही पहलों पर विचार-विमर्श किया गया। उनके पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर चर्चा की गई, जिसमें उनकी पारिस्थितिक पवित्रता को बनाए रखते हुए पर्यटन क्षमता को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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