CRIME

हिमाचल प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से 5.91 करोड़ की ठगी, 12 केस, साइबर पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

एसपी दिनेश शर्मा

शिमला, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और यह आम लोगों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2024 और 2025 में अब तक डिजिटल अरेस्ट के 12 केस दर्ज हुए हैं। इनमें लोगों से कुल 5,91,94,589 रुपये की ठगी की गई है। हालांकि सायबर पुलिस की सतर्कता और कार्रवाई से इनमें से करीब 33,05,663 रुपये की रकम की रिकवरी भी की गई है।

साइबर क्राइम पुलिस ने प्रदेश में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है कि डिजिटल अरेस्ट दरअसल एक तरह की नकली गिरफ्तारी है। इनमें साइबर ठग फोन या वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस अधिकारी, जज या सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वे कहते हैं कि आपके नाम से कोई संदिग्ध मामला दर्ज है, जैसे ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग, फर्जी पासपोर्ट या बलात्कार का केस। इसके बाद सोशल मीडिया, ईमेल या अन्य प्लेटफॉर्म से फर्जी कोर्ट या पुलिस का नोटिस भेजकर पीड़ित को डराते हैं और वीडियो कॉल पर नकली पुलिस वर्दी या पहचान पत्र दिखाकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।

एडवाइजरी में कहा गया है कि डिजिटल अरेस्ट के सबसे आम तरीकों में से एक है फर्जी पुलिस कॉल स्कैम, जिसमें साइबर ठग खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताते हैं और वीडियो कॉल पर दिखाकर कहते हैं कि अभी डिजिटल तरीके से गिरफ्तार किया जा रहा है। वहीं दूसरा तरीका है फर्जी सोशल मीडिया या ईमेल नोटिस भेजकर लोगों को डराना। इसके अलावा, कई बार फर्जी पार्सल केस में भी फोन कर कहा जाता है कि आपके नाम से संदिग्ध या अवैध पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें नशा या कोई अवैध चीज है। इसी तरह मनी लॉन्ड्रिंग केस का डर दिखाकर भी पैसे ऐंठे जाते हैं।

राज्य सीआईडी साइबर क्राइम शिमला के पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ्तार नहीं करती और न ही वीडियो कॉल पर पैसे मांगे जाते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर किसी अज्ञात या संदिग्ध नंबर से कॉल आती है तो जवाब न दें। डरकर पैसा कभी न भेजें और ऐसी किसी भी कॉल की जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन को दें। साथ ही संदिग्ध कॉल और मैसेज को नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत रिपोर्ट करें।

उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोग खुद भी सतर्क रहें और अपने परिवार व खासकर बुजुर्गों को भी इस तरह के फ्रॉड के बारे में जागरूक करें। याद रखें कि साइबर ठग सिर्फ आपके डर का फायदा उठाते हैं और आपको बैंक से पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं। साइबर क्राइम की जानकारी ही इसका सबसे बड़ा बचाव है। इसलिए जागरूक रहें, सतर्क रहें और दूसरों को भी सतर्क करें ताकि कोई भी इस धोखाधड़ी का शिकार न हो सके।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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