
कानपुर, 01 अगस्त (Udaipur Kiran) । यह स्थल गुप्तकाल की अमूल्य धरोहर है। जिनकी निर्माण शैली, विशेषकर टेराकोटा मूर्तिकला और ईंटों का शिल्प, आज भी 1600 वर्षों के उपरांत सुरक्षित और प्रभावशाली रूप में विद्यमान है। यह न केवल जनपद कानपुर की ऐतिहासिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह सिद्ध करता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र रहा है। जनपद के परिषदीय विद्यालयों के छात्र अब अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से सीधे जुड़ेंगे और यह केवल औद्योगिक पहचान तक सीमित नहीं है। यह बातें शुक्रवार को जिलाधिकारी जितेंद प्रताप सिंह ने कही।
जिलाधिकारी भीतरगांव ब्लॉक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित दो प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों को करीब से जानने पहुंचे। सबसे पहले वह बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित प्राचीन श्रीजगन्नाथ मंदिर पहुंचे। मंदिर की भव्यता और उसकी ऐतिहासिक महत्ता के विषय मे जिलाधिकारी ने जानकारी प्राप्त की। मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर लगा मानसूनी पत्थर भी उनके आकर्षण का केंद्र रहा। कहा जाता है कि इस पत्थर से टपकने वाली बूंदों के आधार पर बारिश का पूर्वानुमान लगाया जाता है। मंदिर के पुजारी ने मंदिर के इतिहास और परम्परा की जानकारी दी। इसके बाद वह भीतरगांव कस्बे में स्थित प्राचीन गुप्तकालीन मंदिर देखने पहुंचे।
भीतरगांव क्षेत्र ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध है और इसे पर्यटन मानचित्र पर लाने की दिशा में प्रयास तेज किए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि यहां की विरासत को जनमानस से जोड़ने और बच्चों को इसका सजीव परिचय देने के लिए प्रशासनिक स्तर पर हर संभव कदम उठाया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
