Haryana

सिरसा: वित्तीय कुप्रबंधन के कारण सीडीएलयू का अस्तित्व खतरे में: प्रो. संपत सिंह

मीडिया से मुखातिब होते पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह।

सिरसा, 1 अगस्त (Udaipur Kiran) । हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रो. संपत सिंह ने कहा कि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा (सीडीएलयू) दीर्घकालीन उपेक्षा और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण बंद होने के कगार पर है। सिरसा के कांग्रेस भवन में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रो. संपत सिंह ने कहा कि इसकी स्थापना 2003 में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवी लाल की याद में हरियाणा के सबसे शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में किफायती और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य के लिए की गई थी। हालांकि, विश्वविद्यालय चालू वित्तीय वर्ष मे 155.29 करोड़ रुपये के भारी बजट घाटे से जूझ रहा है। ट्यूशन फीस में वृद्वि और 27 करोड़ रुपये का राज्य ऋण के बावजूद कुल राजस्व केवल 59.20 करोड़ रुपये ही रहेगा।

यह बुनियादी परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी अपर्याप्त होगा। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल अनुमानित पूंजीगत और आवर्ती व्यय 193.81 करोड़ रुपये रखा गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का अस्तित्व ही खतरे में है और कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद घाटा समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वित्तीय संकट के बावजूद पिछले एक दशक में आउटसोर्सिंग एजेंसी के जरिये बिना किसी पारदर्शिता के 535 अकुशल व्यक्तियों को काम पर रखा गया, जबकि आज तक 99 महत्वपूर्ण कुशल गैर-शिक्षण कर्मचारियों के पद खाली है। बाद में उन्हें हरियाणा कौशल रोजगार निगम में शामिल किया गया। चालू वित्त वर्ष में इनसे सीडीएलयू पर 21.34 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। प्रो. संपत सिंह ने कहा कि उचित रूप से प्रशिक्षित कर्मियों की कमी के कारण प्रशासनिक कार्य लगातार प्रभावित हो रहे है। हालांकि स्वीकृत प्राध्यापक के पद बड़े पैमाने पर खाली है और 141 में से केवल 68 भरे हुए है। जिससे शैक्षणिक और शोध कार्य ठप पड़े है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक कुलपति ने 6 महीने के लिए अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए 20 लोगों को जिनमें ज्यादातर उनके गृह गांव के थे, को नियुक्त किया गया। उन्हें नियमों के खिलाफ एक आवेदन के आधार पर नियुक्त किया गया था।

प्रो. संपत सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को बचाए रखने के लिए, 46.38 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि को खर्च कर दिया गया जो मूल रूप से पेंशन और बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित थी। पिछले तीन वर्षों से केंद्रीय या राज्य की वित्त पोषण एजेंसियों से भी कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है और शोध कार्य में गिरावट आई है। वर्ष 2023 में 9.80 करोड़ रुपये की लागत से 20 कमरों और आधुनिक प्रयोगशालाओं वाला एक नया आईटी और कंप्यूटर केंद्र, संचालन के लिए, धन की कमी के कारण अब बेकार पड़ा है।

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(Udaipur Kiran) / Dinesh Chand Sharma

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