
कोलकाता, 01 अगस्त (Udaipur Kiran) ।
तिस्ता नदी पर बने महत्वपूर्ण पुलों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने उत्तर बंगाल के ‘चिकन नेक’ इलाके में निगरानी बढ़ा दी है। इस कड़ी में शुक्रवार को तिस्ता नदी पर स्थित एक ब्रिज पर केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर मॉक ड्रिल का आयोजन किया।
यह मॉक ड्रिल केंद्र सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत उत्तर बंगाल के संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा को लेकर चौकसी बढ़ाई जा रही है। खासतौर पर ‘चिकन नेक’ माने जाने वाले भूभाग में, जो शेष भारत को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाला एकमात्र संकरा गलियारा है, उस इलाके में मौजूद तिस्ता नदी के पुलों को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
सिक्किम से निकलकर तिस्ता नदी सीधे जलपाईगुड़ी, कलिम्पोंग और कूचबिहार होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। इस मार्ग में तिस्ता बाजार से लेकर सेवक, गाजलडोबा, मेखलीगंज, हल्दीबाड़ी और जयीन पुल जैसे कई अहम पुल मौजूद हैं, जो सिलीगुड़ी को उत्तर-पूर्व भारत से जोड़ते हैं। तिस्ता पार किए बिना न तो सिलीगुड़ी पहुंचा जा सकता है, न ही सिक्किम से संपर्क बना रह सकता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस संपूर्ण क्षेत्र को सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील घोषित किया है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर तिस्ता नदी पर बने पुलों की सुरक्षा को लेकर मॉक ड्रिल की शुरुआत की गई है। इसमें केंद्रीय बलों के जवानों के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की प्रशिक्षित टीमों ने भी हिस्सा लिया। बागडोगरा एयरबेस और हासीमारा पुल क्षेत्र में भी विशेष निगरानी के आदेश दिए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ‘एयरफोर्स रूटीन वॉच ट्रायल प्रोग्राम’ के तहत तिस्ता नदी के पुलों पर हेलीकॉप्टरों से नियमित निगरानी के निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, सेवक से गाजलडोबा के बीच तिस्ता के किनारे स्थित राज्य के सबसे बड़े सेना फायरिंग रेंज में आधुनिक उपकरणों और रोबोटिक्स तकनीक का उपयोग कर प्रशिक्षण भी चल रहा है। हेलीकॉप्टर से पैरा ट्रूपर्स को उतारने की ड्रिल भी लगातार की जा रही है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
