
जयपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को लेकर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान याचिका को निस्तारित कर दिया है। अदालत ने कहा कि मामले में राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में याचिका पर अब आगे सुनवाई करना जरूरी नहीं है। सीजे केआर श्रीराम और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि मामले में राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश किया जा चुका है। जिसमें मामले में राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अलावा भविष्य में भी राज्य सरकार की ओर से डिजिटल अरेस्ट व साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वहीं न्यायमित्र अनुराग कलावटिया ने कहा कि मामले में कई बिंदुओं पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाने की जरूरत है। इस पर अदालत ने कहा कि मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी कार्रवाई की गई है और भविष्य के लिए भी अदालत को आश्वस्त किया गया है। ऐसे में याचिका का निस्तारण किया जाता है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 22 जनवरी को मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए कहा था कि डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम के मामले दुनियाभर में बढे हैं और भारत देश में भी लाखों लोग इनसे प्रभावित हुए हैं। इसके चलते हजारों निर्दोष लोगों ने ना केवल अपनी कमाई खो दी, बल्कि कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। डिजिटल अरेस्ट व साइबर क्राइम से हर क्षेत्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं और इन अपराधों से आमजन को बचाने और इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है।
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(Udaipur Kiran)
