
नई दिल्ली, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि कांग्रेस में शामिल हुए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला करें। कोर्ट ने कहा है कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने में देरी लोकतंत्र के लिए खतरा है। इन मामलों में जानबूझकर देरी करने से दलबदलू विधायकों के खिलाफ कार्रवाई बेअसर हो जाती है।
बीआरएस पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि बीआरएस के टिकट पर 2023 के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 10 विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस संबंध में दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने में तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष काफी देरी रहे हैं।इससे पहले दस फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि लोकतंत्र में पार्टियों के अधिकार को खत्म नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने राज्य विधानसभा के अध्यक्ष से कहा था कि वे एक निर्धारित समय-सीमा में अयोग्यता के लिए दायर अर्जियों पर फैसला करें।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा था कि हम लोकतंत्र के दो दूसरे स्तंभों का सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि संसद के कानून का मकसद ही कामयाब न हो। न्यायालय ने विस अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वो ये बताएं कि वे कब तक इन अर्जियों पर फैसला करेंगे। न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वकील से पूछा कि आप इस पर भी निर्देश लेकर आएं कि क्या उचित समय का मतलब विधानसभा का सत्र समाप्ति तक तो नहीं है। इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे विधायकों की अयोग्यता के मामले पर जल्द फैसला लें।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
