





दमोह, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्यप्रदेश के दमोह जिला मुख्यालय पर संयुक्त कलेक्टेड भवन में मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य द्वय डा.निवेदिता शर्मा एवं ओंकार सिंह ने प्रकरणों की सुनवाई करते हुये संबधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये। सोमवार को आयोग की टीम ने जिले की विभिन्न समस्याओं को स्व संज्ञान में लेते हुये कार्यवाई की एवं शिकायतों पर सुनवाई करते हुये संबधित अधिकारियों से जबाब लिये। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, श्रम, पुलिस तथा विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति सुनवाई के दौरान रही।
जिला स्तरीय समन्वयक एवं समीक्षा बैठक में जिला बाल संरक्षण ईकाई दमोह अध्यक्ष दीपक तिवारी के साथ सदस्यों की विशेष उपस्थिति रही। बाल संरक्षण आयोग राज्य की सदस्य डा.निवेदिता शर्मा ने बताया कि लंबित प्रकरणों की सुनवाई आज की गयी है क्योंकि बार-बार आयोग के द्वारा संबधित विभाग को पत्र भेजे फिर स्मरण पत्र भेजे लेकिन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। अनेक विभागों के द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया जा रहा था जिसमें पास्को,पुलिस,शिक्षा से जुडे मामले थे। आज इन सभी को मामले के निराकरण एवं समय पर प्रतिवेदन भेजने एवं संपर्क बनाये रखने का निर्देश दिये है।
डा.निवेदिता ने बताया कि हिन्डोरिया छात्रावास की स्थिति दयनीय है और इसके संचालन में अनेक प्रकार की खामियां सामने आयीं है। जिसके संबध में कलेक्टर दमोह से चर्चा की गयी है। उन्होने बताया कि जिन 10 मदरसों की बात सामने आयी थी उनमें से 6 सही पाये गये हैं जिसका प्रतिवेदन शिक्षा विभाग ने प्रस्तुत किया है। सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि धर्म परिवर्तन का मामला,मिशन अस्पताल एवं उसके संचालक अजय लाल को बचाने में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है उन्होने कार्यवाही न होने को बडी लापरवाही बताया। ओंकार सिंह ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल श्रम,बाल विवाह जैसे विषय को लेकर आयोग द्वारा उठाये जा रहेे कदमों की जानकारी दी।
बीच सुनवाई एलसीडी पर बेनर-
आयोग के सदस्यों द्वारा सुनवाई प्रारंभ करने के काफी देर बाद महिला बाल विकास के अधिकारियों ने जिस स्थान पर सदस्य बैठकर सुनवाई कर रहे थे के पीछे एलसीडी पर बेनर लगाना चर्चा में बना। इसके पीछे का कारण है कि बाल संरक्षण आयोग की बैठक, समय, स्थान और उद्देश्य को लेकर एक बेनर सामने लगाया गया था जबकि आयोग के सदस्यों द्वारा जहां सुनवाई की जा रही थी वहां रिक्त स्थान था। महिला बाल विकास विभाग के संबधित अधिकारियों के द्वारा की गयी लापरवाही की चर्चा जमकर बनी रही। सूत्रों की माने तो आयोग के सदस्यों ने इस विषय को संज्ञान में लिया है।
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(Udaipur Kiran) / हंसा वैष्णव
