
लखनऊ, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने सोमवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सपा सांसद डिंपल यादव का अपमान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
उन्हाेंने कहा कि 22 जुलाई 2025 को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी एवं सांसद डिंपल यादव नई दिल्ली में संसद मार्ग स्थित मस्जिद में गए थे। उनके साथ सपा के अन्य सांसद, जैसे मोहिबुल्लाह नदवी (रामपुर सांसद और मस्जिद के इमाम), धर्मेंद्र यादव, और ज़िया उर रहमान बर्क भी थे। इस दौरान वहां एक बैठक हुई, जिसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। जिसके बाद मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने सपा प्रमुख की धर्मपत्नी एवं सासंद डिंपल यादव को “राजनीतिक हिंदू महिला” कहकर उनके पहनावे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उनकी ऐसी आपत्तिजनक और मर्यादाओं के विपरित की गई टिप्पणियाें काे सभ्य समाज ना सुनना पसन्द करता है ना बोलना।
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि यह एक महिला सांसद की गरिमा पर ही नहीं अपितु एक भारतीय नारी और उसकी संस्कृति पर हमला था। हमारी विचारधारा और डिंपल यादव की विचारधारा भले ही अलग-अलग हों लेकिन महिला का अपमान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। डिंपल यादव पर की गई अशोभनीय टिप्पणी पर अखिलेश यादव का मौन निंदनीय ही नहीं, शर्मनाक भी है। मौलाना की बयानबाज़ी पर सपा का मौन क्या इस सोच की सहमति है कि सपा में महिलाओं की गरिमा अब मौलवी तय करेंगे? मंत्री ने कहा डिंपल यादव ने पूरी गरिमा और भारतीय मर्यादा के अनुरूप परिधान पहना था, फिर भी एक मौलाना ने उन्हें निशाना बनाया। क्या सपा अब मौलवियों के इशारे पर अपनी महिला सांसदों की गरिमा एवं उनका पहनावा भी तय करेगी?
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि सपा प्रमुख की चुप्पी यह भी दर्शाती है कि वे कट्टरपंथियों और तालिबानी मानसिकता रखने वालों के कितने बड़े समर्थक हैं कि सियासी फायदे के लिए वे अपनी स्वयं की धर्मपत्नी के अपमान पर भी मौन हैं। समाजवादी पार्टी का यह मौन समर्थन बताता है कि जब बात महिला गरिमा और वोटबैंक में टकराव की हो, तो सपा मुखिया मौलाना के साथ खड़े होते हैं, महिलाओं के नहीं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी हर बेटी के सम्मान में अडिग है, चाहे वह विपक्षी दल की ही क्यों न हो।
महिला सशक्तिकरण के फर्जी नारों की पोल खुली
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के महिला सशक्तिकरण के फर्जी नारों की पोल खुल गई है। “लड़की हूं लड़ सकती हूं” का नारा देनी वाली प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपनी साथी महिला सांसद के अपमान पर मौन हैं। जब मामला वोट बैंक का हो तो राहुल हों या प्रियंका हों या अखिलेश यादव सबकी ज़ुबान पर ताले लग जाते हैं। यह कथन केवल व्यक्तिगत रूप से डिंपल यादव का अपमान नहीं था, बल्कि समस्त नारी जाति का अपमान है
मंत्री ने प्रश्न खडे़ करते हुए कहा कि क्या यही समाजवादी पार्टी का असली ‘समाजवाद‘ है? जो पार्टी संविधान, महिला अधिकारों और सेक्युलरिज़्म की बात करती है, वही पार्टी अपनी महिला सांसद के अपमान पर खामोश क्यों है? क्या अखिलेश यादव को यह अपमान तब भी अस्वीकार्य नहीं लगता जब यह टिप्पणी उनकी पत्नी और सांसद डिंपल यादव के खिलाफ की गई हो? क्या ‘मुस्लिम तुष्टिकरण‘ के चलते समाजवादी पार्टी ने ‘महिला सम्मान‘ की बलि चढ़ा दी है? सपा की यह चुप्पी केवल चुप्पी नहीं, राजनीतिक कायरता है।
उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण ने दो बातें बिल्कुल स्पष्ट कर दी हैं कि महिला सम्मान इन दलों के लिए एक नैतिक मूल्य नहीं, बल्कि राजनीतिक सुविधा है। समाजवादी पार्टी के लिए इस्लामिक वोटबैंक की नाराज़गी से बचना, एक महिला सांसद की गरिमा से ज्यादा जरूरी है। कांग्रेस और सपा की चुप्पी से एक बात और साफ हो जाती है कि इनकी लड़ाई महिला अधिकारों की नहीं, बल्कि राजनीतिक अवसरवाद की है।—————–
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
