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तामुलपुर में मनाया गया देशभक्ति दिवस

तामुलपुर में देशभक्ति दिवस मनाया गया।
तामुलपुर में देशभक्ति दिवस मनाया गया।

तामुलपुर (असम), 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । असम के अन्य हिस्सों की तरह तामुलपुर में भी आज उपमंडलीय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की पहल और जिला प्रशासन के सहयोग से देशभक्त तरुणराम फुकन की 86वीं पुण्यतिथि के अवसर पर जिला आयुक्त सभागार में पांचवां वार्षिक ‘देशभक्ति दिवस’ मनाया गया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने वर्ष 2021 में राज्य में तरुणराम फुकन की पुण्यतिथि को देश भक्ति दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। तबसे यह हर वर्ष मनाया जा रहा है।

असम के राष्ट्रगान से आरंभ हुए इस कार्यक्रम के प्रारंभ में देशभक्त की प्रतिच्छवि पर मुख्य अतिथि एवं जिला आयुक्त पंकज चक्रवर्ती, बीटीसी के कार्यकारी सदस्य डॉ. धर्मनारायण दास, पार्षद हेमंत कुमार राभा, बार्तापाखिली के संपादक व विशिष्ट वक्ता ब्रजेंद्रनाथ डेका, अतिरिक्त आयुक्त डॉ. दीपांकर नाथ, हेमाश्री खनिकर आदि ने दीप प्रज्वलित एवं पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला आयुक्त पंकज चक्रवर्ती ने देशभक्त तरुणराम फुकन की स्मृति में गहन प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को देशभक्त द्वारा लिखी गई और उनके ऊपर रचित पुस्तकों का अध्ययन करने की भी सलाह दी। अपने भाषण में उन्होंने देशभक्त के जीवन से जुड़ी कई रोचक घटनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा, एक छोटी-सी घटना है— जब महात्मा गांधी असम आए थे और तरुणराम फुकन के ड्राइंग रूम में बैठे थे, तब उन्होंने दीवार पर टंगे बाघ के सिर को देखा। जैसे ही गांधीजी ने उसकी ओर देखा, तरुणराम फुकन तुरंत समझ गए। गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे। अतः फुकन ने स्वयं कहा कि यह बाघ उनके घर के पशुओं को खाने आया था, इसलिए उसे मारा गया। गांधीजी जानते थे कि फुकन एक शिकारी थे। तब गांधीजी ने मुस्कराते हुए कहा कि ‘अब चूंकि महात्मा गांधी यहां आए हैं, आज से बाघ कभी यहां नहीं आएगा।’ उसी दिन से तरुणराम फुकन ने शिकार करना छोड़ दिया।

जिला आयुक्त ने आगे कहा, स्वतंत्रता से पहले ही तरुणराम फुकन को पूरे भारतवर्ष में जाना जाता था। कहा जाए तो वे उस समय एक सेलिब्रिटी थे। पर आज हममें से बहुत से लोग उन्हें ठीक से नहीं जानते। उनके आदर्श और कार्य को हमारे छात्र और नई पीढ़ी अपनाए, यही मेरी कामना है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में बार्तापाखिली मासिक पत्रिका के संपादक एवं स्वामी ब्रजेंद्रनाथ डेका ने देशभक्त तरुणराम फुकन के जीवन और आदर्शों पर एक विचारपूर्ण और तथ्यपूर्ण विचार व्यक्त किये। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, देशभक्त तरुणराम फुकन असम की एक अनमोल धरोहर हैं। असहयोग आंदोलन के समय उन्होंने असम के लिए बहुत संघर्ष किया। कांग्रेस से अलग रहने के बावजूद तरुणराम फुकन ने देश के लिए जो योगदान दिया, उसे देशवासी सदा याद रखेंगे।

तामुलपुर बालिका उच्च विद्यालय की कक्षा नवमी की छात्राएं शहबीना पारबीन, मांपी डे और आबेदा बेगम ने भी तरुणराम फुकन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट किए।

आज के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला आयुक्त पंकज चक्रवर्ती, बीटीसी के कार्यकारी सदस्य डॉ. धर्मनारायण दास, मनोनीत पार्षद हेमंत कुमार राभा, विशिष्ट वक्ता डेका, अतिरिक्त जिला आयुक्त डॉ. दीपांकर नाथ और हेमाश्री खनिकर, विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारीगण और कई छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।

स्वागत भाषण एवं उद्देश्य विवरण के साथ कार्यक्रम का संचालन उपमंडलीय सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी विजय बेजबरुवा ने किया। अंत में, अतिरिक्त जिला आयुक्त डॉ. दीपांकर नाथ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करने के पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

(Udaipur Kiran) / किशोर मिश्रा

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