
कानपुर, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोमूत्र और गोबर से जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र,दसपर्णीय, डीकम्पोज़र आदि बनाकर खेती में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की खेती से उत्पादों की कीमत दुगुनी और हानिकारक केमिकल रहित होती है। यह जानकारी रविवार को कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने दी।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र कानपुर देहात के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान विकासखंड सरवनखेड़ा के गांव जसवापुर में प्रगतिशील कृषक नरोत्तम कुशवाहा के खेत पर पहुंचे। यहां पर उन्होंने प्राकृतिक खेती के अवयवों के बारे में वैज्ञानिक पद्धतियों की बारीकियां बतायीं।
डॉ खान ने बताया कि इस खेती से फसल लागत मेें भी कमी होना स्वाभाविक है बाजार में भी प्राकृतिक खेती के माध्यम से पैदा किये गये उत्पादों की कीमत भी दुगुनी प्राप्त होती है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से फल-सब्जी की खेती बहुत अच्छे तरीके से की जा सकती है। साथ ही इनकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है।
डॉ खान ने कहा कि प्राकृतिक रूप से खेती द्वारा हम फल वृक्ष एवं सब्जी की खेती में प्राकृतिक कृषि के महत्वपूर्ण घटक आच्छादन के माध्यम से हम खरपरतवारों को रोकने के साथ ही पानी की आवश्यकता बहुत कम कर सकते हैं। इस तरह की फसल किसी को भी शारिरिक नुकसान भी नहीं पहुचाती है।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
