Madhya Pradesh

भोपाल : मप्र जनजातीय संग्रहालय में बंजारा समुदाय के नृत्य रामत की हुईं प्रस्तुतियां

मप्र जनजातीय संग्रहालय में बंजारा समुदाय के नृत्य रामत की हुईं प्रस्तुतियां
मप्र जनजातीय संग्रहालय में बंजारा समुदाय के नृत्य रामत की हुईं प्रस्तुतियां

भोपाल, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित मप्र जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें रविवार को डॉ. ज्योति सूर्यवंशी- अमरवाड़ा एवं डॉ सीमा सूर्यवंशी- छिंदवाड़ा के दल प्रबंधन ने बंजारा नृत्य की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने धांदड़ी रामत, फरती रामत, चोहो रामत, आड़ी रामत की प्रस्तुति दी। इस दौरान जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे एवं म.प्र. जनजातीय संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष अशोक मिश्र उपस्थित रहे।

गतिविधि में बंजारा समुदाय के तारेंद्र कुमार राठौर एवं साथी द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी गई। बंजारा समुदाय में लोक नृत्यों को रामत कहा जाता है। गतिविधि अंतर्गत कलाकारों ने धांदड़ी रामत की प्रस्तुति दी। यह नृत्य मुख्यतः सावन माह एवं तीज पर किया जाता है। इस रामत में पृथ्वीराज सिंह चौहान की गाथा, सावन लोक गीत को गाते हुए, कलाकार गोल घेरे में नृत्य की प्रस्तुति देते हैं। इसमें कलाकार अपने हाथ में सवा हाथ का डंडा लेकर नृत्य करते हैं। वहीं रेशमा बंजारा एवं साथी आड़ी रामत और चोहो फरती रामत की प्रस्तुति दी गई। यह रामत मुख्तः होली पर्व के दौरान किया जाता है, जिसमें महिला कलाकार बंजारा समुदाय की परंपरिक वेशभूषा पहन कर गोल घेरे तथा नगाड़ा वाद्य की धुन पर नृत्य करती हैं। इस रामत में होली गीत तथा नायकों की वीर गाथाओं को भी गाया जाता है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रत्येक रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्य प्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति दी जाती है। इसके साथ ही देश के अन्य राज्यों के कला रूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होता है।

(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत

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