
-ज्वाला देवी में प्रचार विभाग की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
प्रयागराज, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान का मूल उद्देश्य भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्रीयता आधारित शिक्षा प्रणाली का प्रचार प्रसार करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में रविवार को सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी इंटर कॉलेज में काशी प्रान्त के प्रचार विभाग की एक दिवसीय कार्यशाला हुई।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सौरभ मालवीय ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन या रोजगार तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उसमें नैतिक मूल्य जीवनोपयोगी गुण और भारतीय संस्कृति के आदर्श भी सम्मिलित होने चाहिए। विद्यार्थियों में सत्य, अहिंसा, करुणा, सेवा भावना, अनुशासन और देशभक्ति जैसे उच्च आदर्शों का विकास करना है।
उन्होंने आगे कहा कि, भारतीय परम्पराओं, आचार विचार और धार्मिक सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश शिक्षा हो वेदों, उपनिषदों और प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने पर बल देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय त्योहारों परम्पराओं और लोकाचार का प्रचार-प्रसार करना तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में संस्कार युक्त शिक्षा का प्रसार ही विद्या भारती का लक्ष्य है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने कहा कि प्रचार विभाग किसी भी संस्था, संगठन या आंदोलन की वह महत्वपूर्ण इकाई है जो उसके उद्देश्यों, कार्यों एवं मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करती है। यह विभाग न केवल सूचना देने का कार्य करता है बल्कि समाज के साथ एक जीवंत संवाद भी स्थापित करता है। यही कार्य प्रचार विभाग करता है।
विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र ने कहा कि आज के डिजिटल युग में प्रचार विभाग की भूमिका और भी व्यापक हो गई है। सोशल मीडिया, वेबसाइट, न्यूजलेटर, प्रेस विज्ञप्ति और विभिन्न प्रचार के माध्यम से यह विभाग लोगों को जोड़ता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ किरनलता डंगवाल ने कहा कि प्रचार विभाग वह पुल होता है जो संस्था और समाज के बीच सीधा सम्बंध स्थापित करता है। यह जनसंपर्क और जनभावनाओं को समझने और उसे संस्था तक पहुंचाने का कार्य भी करता है।
प्रान्त संयोजक और ज्वाला देवी सिविल लाइन्स के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने कहा कि यदि हम विद्या भारती जैसे संगठनों की बात करें तो प्रचार विभाग विद्यालयों में हो रहे सांस्कृतिक शैक्षिक और सामाजिक कार्यों को समाज के सामने लाता है। इससे समाज को प्रेरणा मिलती है और विद्यार्थी शिक्षक तथा अभिभावक सभी को गर्व की अनुभूति होती है। कार्यशाला में डॉ. राम मनोहर, शेषधर द्विवेदी, डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह, विक्रम बहादुर सिंह परिहार, संदीप गुप्त, आचार्य सरोज दुबे, आचार्य मनोज कुमार गुप्ता, आचार्य विनोद मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
