RAJASTHAN

अजमेर में वयोवृद्ध महिला को लगाया गया लीडलेस पेसमेकर

अजमेर के हृदय चिकित्सा में एक नई क्रांतिकारी उपलब्धि
अजमेर के हृदय चिकित्सा में एक नई क्रांतिकारी उपलब्धि

अजमेर, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने अजमेर के चिकित्सा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने जोधपुर निवासी 70 वर्षीय महिला को पहली बार लीडलेस पेसमेकर लगाकर न केवल स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया गया, बल्कि अजमेर के हृदय चिकित्सा में एक नई क्रांतिकारी उपलब्धि भी दर्ज कर दी । इस तकनीक से उपचार अजमेर से बाहर बड़े चिकित्सा संस्थानों में ही संभव थे। मरीज को दिल की धड़कन अनियंत्रित रहने और पुराने पेसमेकर में संक्रमण के चलते गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा था।

मरीज को पहले पारंपरिक पेसमेकर लगाया गया था, लेकिन समय के साथ उसमें संक्रमण हो गया और पस बनना शुरू हो गया। दवाएं असर नहीं कर रही थीं और घाव भी ठीक नहीं हो रहा था। मरीज को बेहद कमजोरी महसूस हो रही थी। इस स्थिति में आमतौर पर दोबारा पेसमेकर लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल गुप्ता के नेतृत्व में विशेषज्ञ चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने मिलकर मरीज का सफल उपचार किया। हॉस्पिटल की तकनीकी टीम में प्रियंका टाक, गोपाल साहू, दीपक नामा, नितिका, नर्सिंग स्टाफ गणपत, तुषार व सहायक अनिल का सराहनीय योगदान रहा।

क्या होता है लीडलेस पेसमेकर?

लीडलेस पेसमेकर एक आधुनिक तकनीक वाला छोटा उपकरण है, जो पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक होता है। इसमें न तो तार (लीड) होते हैं, न ही छाती में सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसे शरीर के निचले हिस्से (जांघ) की नस के माध्यम से सीधे हृदय के दाहिने निचले कक्ष (राइट वेंट्रिकल) में स्थापित किया जाता है।

इस तकनीक में कोई चीरा या घाव नहीं होता, जिससे संक्रमण का खतरा न्यूनतम रहता है। यह डिवाइस एक विशेष प्रोग्रामर के माध्यम से जांचा जाता है और पूर्ण संतुष्टि के बाद हृदय में स्थायी रूप से स्थापित कर दिया जाता है। इसकी बैटरी 10 से 15 वर्ष तक चलती है, और आवश्यकता पड़ने पर इसे बदला भी जा सकता है।

क्यों था यह मामला जटिल?

मरीज पहले से ही किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और नियमित डायलिसिस पर थीं। ऐसे में कार्डियक इंटरवेंशन जोखिमपूर्ण हो सकता था। हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रणवीर सिंह चौधरी ने बताया कि रोगी के क्रिएटिनिन स्तर अधिक थे, लेकिन समन्वित टीम व सुपरस्पेशियलिटी सेटअप के कारण स्थिति को नियंत्रित किया गया और समय रहते प्रभावी उपचार संभव हो सका।

—————

(Udaipur Kiran) / संतोष

Most Popular

To Top