West Bengal

डेढ़ महीने पुराने एनआरसी नोटिस को लेकर तृणमूल ने बनाया सियासी मुद्दा, कहा– ‘बंगालियों को डराया जा रहा है’

कोलकाता, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) ।

पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के माथाभांगा इलाके में एक बुजुर्ग को डेढ़ महीने पहले मिले एनआरसी नोटिस को सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस गंभीर राजनीतिक मुद्दा बनाने में जुट गई है। पार्टी ने इसे बांग्लाभाषियों को भयभीत करने की साजिश करार देते हुए भाजपा पर सीधा हमला बोला है।

मामला 75 वर्षीय निशिकांत दास से जुड़ा है, जिन्हें करीब डेढ़ महीने पहले एनआरसी का नोटिस मिला था। उन्होंने बताया कि नोटिस मिलने के बाद वे दस्तावेज़ लेकर गुवाहाटी गए और कानूनी सलाह भी ली, लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके पास मौजूद ज़मीन के कागज़ नाकाफ़ी हैं। उनसे 1958 के ज़मीन के कागज लेने के बाद अब उनके पिता का वोटर लिस्ट मांगा गया है।

निशिकांत दास ने कहा, “मेरे पिता की मृत्यु 45 साल पहले हो गई। अब मैं उनका वोटर लिस्ट कहां से लाऊं? हम तो सालों से यहीं रह रहे हैं। ममता बनर्जी अब जो करें, मैं उनके भरोसे हूं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि गुवाहाटी में बहुत पहले एक बार उन्हें ‘बांग्लादेशी’ समझकर हिरासत में लिया गया था, लेकिन दस्तावेज दिखाने के बाद छोड़ा गया।

इस पूरे घटनाक्रम को अब तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक रंग दे दिया है। पार्टी के कूचबिहार जिला अध्यक्ष अभिजीत दे भौमिक ने कहा, “बंगालियों को जानबूझकर डराया जा रहा है ताकि वे भाजपा के सामने झुक जाएं। बाहर के राज्यों में बांग्लाभाषियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें जेलों में डाला जा रहा है। एनआरसी ही भाजपा के पतन की वजह बनेगा।”

हालांकि भाजपा की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनआरसी के पुराने नोटिसों को सामने लाकर तृणमूल आगामी चुनावों में भाजपा के खिलाफ ‘बाहरी बनाम बंगाली’ विमर्श को फिर से धार देने की कोशिश कर रही है।

इस मुद्दे के ज़रिये तृणमूल ने फिर एक बार एनआरसी और नागरिकता के सवाल को केंद्र में लाकर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी लगातार बंगालियों के अधिकार और पहचान की लड़ाई को लेकर मुखर रही हैं। उन्होंने पहले ही ‘भाषा आंदोलन’ की घोषणा करते हुए आगामी 28 जुलाई को बोलपुर में पदयात्रा की तैयारी कर ली है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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