
हरिद्वार, 25 जुलाई (हि.स. )।अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के अमर शहीद जगदीश प्रसाद वत्स को उनकी 100 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
ऋषिकुल आयुर्वैदिक कॉलेज के छात्र रहे 17 वर्ष के जगदीश वत्स ने 1942 में अपनी शहादत दी थी। शहीद जगदीश वत्स के भांजे श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि शहीद जगदीश वत्स की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने व उनकी स्मृति में सरकारी स्तर पर एक पुरुस्कार शुरू करने की मांग लगातार उठाई जाती रही है। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने अभी तक इस मांग पर कोई निर्णय नहीं किया है।
अलबत्ता शहीद वत्स के परिवार ने स्वयं के संसाधनों से शहीद जगदीश वत्स के गांव खजूरी अकबरपुर में उनकी स्मृति में खोले गए जगदीश प्रसाद स्मारक जूनियर हाईस्कूल परिसर में उनकी प्रतिमा स्थापित की है। लेकिन शहीद वत्स के नाम से हरिद्वार में प्रस्तावित स्वाधीनता सेनानी सदन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी आज तक नही बन पाया। उन्होंने बताया कि 17 वर्षीय जगदीश वत्स में एक कवि के भी गुण थे ,जब वे कक्षा 10 के छात्र थे तो उन्होंने अपने तत्कालीन गुरु आचार्यश्री रामदेव के निधन से आहत होकर उन्हें जो काव्यांजलि प्रस्तुत की थी ,उस काव्यांजलि को आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक मे स्थान दिया है।
शहीद जगदीश वत्स को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालो में सुरेंद्र कुमार सैनी,नवीन शरण निश्चल, अशोक शर्मा आर्य,अवधेश पंत, श्रीपाल वत्स सहित अनेक लोग शामिल रहे।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
