
मंडी, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । देश भर से पुलों के गिरने की खबरें रोजाना सुर्खियां बन रही हैं। नए पुल भी जमींदोज हो रहे हैं, कई लोगों की इसमें जिंदा समाधि भी लग रही है। हिमाचल प्रदेश में भी पिछले अर्से में कुछ पुल टूट कर गिर चुके हैं मगर हैरानी यह है कि प्रदेश के महत्वपूर्ण प्राचीन शहर छोटी काशी मंडी में पुराने पुलों जो नए पुलों से ज्यादा सक्षम दिखते हैं, अभी भी पूरी ताकत के साथ खड़े हैं की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यूं तो शहर नगर निगम बन चुका है, जिला भर के ही नहीं बल्कि जोनल स्तर कार्यालय भी यहां हैं, बड़े बड़े अधिकारी हर महकमे जिनमें लोक निर्माण विभाग भी शामिल है यहां बैठते हैं, इन्हीं पुलों से होकर उनके वाहन गुजरते भी हैं मगर किसी को ध्यान नहीं है कि 150 साल पुराना मंडी शहर के ऐतिहासिक सुकेती पुल पर पेड़ों ने डेरा जमा रखा है। पेड़ इतने बड़े हो रहे हैं कि ये पुल की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं।
आर्कनुमा यह पुल पत्थरों से बना है और अपनी अनूठी निर्माण शैली का है। यह शहर के प्रवेश द्वार पर है जहां से रोजाना अपनी पीठ पर हजारों वाहनों को लाद कर शहर में प्रवेश करवाता है। इन दिनों इस पुल पर पीपल समेत कई प्रजातियों के पेड़ खूब लहलहा रहे हैं मगर मजाल है कि किसी भी नजर इस पर पड़ जाए और इस पुल को इन पेड़ों जो इस पुल के लिए खतरा बनते जा रहे हैं को हटा दे। बड़े होते पेड़ पुल में दरारें डाल रहे हैं। सर्वविदित है कि जैसे जैसे इनकी जड़े बड़ी होती जाएंगी, ये दरारों को चौड़ा कर देंगे और उसके बाद क्या होगा यह बताने की जरूरत नहीं है, इंजीनियर लोग खुद जानते हैं।
मंडी के पूर्व पार्षद अवनिंदर सिंह ने लोक निर्माण विभाग, नगर निगम मंडी व जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि थोड़ा सा वक्त निकाल कर इस पुल के पेड़ निकाल दो और इसे बचा लो, यह धरोहर ही नहीं बल्कि शहर की भाग्य रेखा भी है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
